पाले से बचाव के लिए किसानों को सलाह

 

रतलाम, 01 जनवरी। जिला कृषि विभाग ने पाले से बचाव के लिए किसानों को सामईक सलाह जारी की है। उपसंचालक सुश्री नीलम सिंह चौहान ने बताया है कि पाला पड़ने की संभावना पर बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें अथवा थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भूरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा 0.1 प्रतिशत गंधक अम्ल का छिड़काव करें।

अगेती बुवाई वाली किस्म में दूसरी सिंचाई आवश्यकता को देखकर करें। देर से बुवाई की गई फसल में सिंचाई के साथ एक तिहाई नत्रजन 33 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अर्थात यूरिया 70 से 72 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सिंचाई के पूर्व भूरक दे पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अंतराल पर चार सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है। दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है। बालिया निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई नहीं करें अन्यथा फुल खिर जाते हैं। दानों का मुंह काला पड़ जाता है। करनाल बंट तथा कंदुआ व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। मांहू का प्रकोप गेहूं फसल के ऊपरी भाग पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड ढाई सौ मिलीग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

रासायनिक उपचार में बताया गया है कि जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए 1 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में प्लास्टिक के इसप्रेयर से छिड़के, ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर तथा पाले की संभावना हो तो गंधक के तेजाब को 15-15 दिन के अंतर से दोहरावे।

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