एक ग्लास दूध तथा एक अंडा रोज खाने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है-डाॅ. पी.के.तिवारी

सिवनी, 01 जून। दूध में प्रोटीन, विटामिन, फासफोरस, मैगनीशियम, कैल्शियम, आयोडीन समेत कई महत्वपूर्ण खनिज पाये जाते है दूध के नियमित सेवन से शरीर में कैल्शियम की पर्याप्त आपूर्ति होती है जो हड्डियों को मजबूत बनाती है बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु प्रोटीन के रूप में दूध का सेवन आवश्यक है। दूध में विटामिन जहां शरीर के इम्यून सिस्टम को बढिया बनाता है वहीं बसा पर्याप्त मात्रा में शरीर को उर्जा उपलब्ध करवाती है। एक ग्लास दूध तथा एक अंडा रोज खाने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
उक्ताशय की बात पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. पी.के. तिवारी ने मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी में विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में कहा है।
गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाईन संचालित एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.एन.के. सिंह एवं पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. पी.के. तिवारी के मार्गदर्शन में किया गया जिसमें बताया गया कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस पशुपालन एवं कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के सहयोग से मनाया गया इस दिवस को मनाने का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र के विकास, दूध उत्पादन गतिविधियां एवं दूध के पोषण संबंधित महत्व का प्रचार प्रसार करना है।
इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ के.पी.एस. सैनी द्वारा वर्तमान समय में सफल डेयरी व्यवसाय के समुचित प्रबंधन हेतु पशुपालकों को महत्वपूर्ण सुझाब दिया गया और बताया गया कि वर्तमान समय में हमारा देश दुग्ध उत्पादन में 208 मिलियन टन के साथ प्रथम स्थान पर काबिज है। प्रति व्यक्ति दूध का सेवन 428 ग्राम है। पूरे भारत में 80 मिलियन ग्रामीण युवक दुग्ध उत्पादन में सक्रिय सहभागिता निभा रहे है। भारत में कुल पशुओं की जनसंख्या 535.78 मिलियन है। जिसमें गाय 192.5 मिलियन, भैस 109.9 मिलियन, बकरी 148.9 मिलियन, भेड 74.3 मिलियन है। भारत में गाय की कुल 50 किस्में, भैस की 17 बकरी की 34, भेड की 44 एवं कुक्कुट की 19 किस्में है।
डॉ. पी.के. तिवारी ने बताया कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन, कुक्कुटपालन पर पशुपालकों को शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी
साझा की और बताया गया कि एक ग्लास दूध तथा एक अंडा रोज खाने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। घर के पिछवाडे मुर्गीपालन कर ग्रामीण युवक अपनी रोजमर्रा की जरूरतो को मुर्गी से प्राप्त अंडे एवं मुर्गियों को बेचकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते है। इस तरह से किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते है।
दुग्ध प्रसंस्करण एवं संरक्षण संयंत्र केंद्र की प्रबंधक श्रीमति पायल दहाते द्वारा दुग्ध संचयन एवं प्रसंस्करण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी वहीं पशुचिकित्सा विभाग से सहायक चिकित्सा शल्यज्ञ डॉ.सक्षम चैपडा द्वारा नस्ल सुधार हेतु जानवरों का उचित चुनाव करने हेतु पशुपालकों को जानकारी दी गई। साथ ही टीकाकरण (एफ.एम.डी., बी.क्यू.) एवं थनैला रोग के बारे में पशुपालको को विस्तार से जानकारी दी गयी।
पशुचिकित्सा विभाग से सहायक शल्यज्ञ चिकित्सक डॉ भावना शुक्ला द्वारा दुग्ध उत्पादन को बढाने हेतु आहार प्रबंधन एवं हरे चारे के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। संतुलित आहार बनाने हेत विभिन्न प्रकार के अनाजों को मिलाकर आहार की गुणवत्ता को सुधारने हेतु जानकारी प्रदान की गयी।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक ए.पी.भंडारकर, जी.के. राणा एवं वॉटर शेड आर्गेनाइजेशन के अरविंद उईके एवं पशुपालक भाई ऑनलाईन गूगल मीट के माध्यम से इस कार्यशाला में उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान संवाद
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