मरीजों को शासकीय वाहन से निःशुल्क ही रेफर किया जावे, सीएचएमओ एवं सिविल सर्जन को इन निर्देशों का पालन करना आवश्यक……

भोपाल, 19 अप्रैल। संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश भोपाल के अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय मध्यप्रदेश ने समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, समस्त सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक,मध्य प्रदेश को 08फरवरी 21 को पत्र जारी मरीजों को विभिन्न स्तर पर रेफर करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किये है।


अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी निर्देश में बताया गया कि प्रायः यह देखने में आया है की जिलों में मरीजों को एक संस्था से दूसरी संस्था अथवा उच्च स्तरीय संस्था मे रेफर करते समय निश्चित प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया जाता है। कई प्रकरणों में ग्राम स्तर अथवा संस्था स्तर से उच्च संस्था में रेफर करने में देरी अथवा उचित प्रबंधन न होने के कारण मरीज की स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है अथवा मृत्यु भी हो सकती है। इस के अतिरिक्त उच्च संस्था में उपचार उपरांत मरीजों द्वारा फॉलोअप हेतु निकटस्थ संस्था न जाते हुए दूर की संस्था में जाया जाता है जिस से मरीज का समय के साथ ही मरीज को आर्थिक हानि का भी सामना करना पड़ता है। अतः यह अत्यंत आवश्यक है की गंभीर रोगियों को रेफर करते समय आवश्यक आकस्मिक सेवायें उपलब्ध कराने के साथ ही उसकी स्थिति एवं उपचार संबंधित जानकारी से रेफर किए जाने वाली संस्था को सूचित करने के साथ ही उक्त जानकारी एवं रेफरल संबंधित आवश्यक जानकारी आदि के अभिलेखों का व्यवस्थित संधारण किया जाना सुनिश्चित करें।
मरीज को रेफर करते हुए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखा जाए की

  1. मरीज उक्त संस्था मे उपचार हेतु आश्वासित है।
  2. जिस भी चिकित्सालय में मरीज को रेफर किया जा रहा है वह चिकित्सालय निकटस्थ हो एवं उपचार हेतु चिकित्सालय मे मानव संसाधन व विशेषज्ञता से संबंधित समस्त सुविधाएं उपलब्ध हो ।
  3. संस्था जिसमे मरीज को रेफर किया गया हो वह संस्था आगामी स्तर की संस्था की दिशा में हो ताकि उपरोक्त संस्था से भी रेफर की आवश्यक्ता पड़ने पर मरीज को न्यूनतम दूरी तय करना पड़े।
  4. संस्था से रेफर करने हेतु पत्र के साथ सलंग्न रेफरल डायरेक्ट्री को सुलभ संदर्भ हेतु उपयोग किया जा सकता है किन्तु रेफर करने से पूर्व तात्कालिक परिस्थितियों को संज्ञान में लेते हुए ही मरीज को रेफर करें।
    आपके अधीनस्थ आने वाली संस्थाओं में पदस्थ चिकित्सकों, नर्सेस व पेरा मेडिकल स्टाफ मरीज को रेफर करते समय निम्नानुसार प्रक्रिया का अनिवार्यतः अनुसरण करे ● प्रत्येक संस्था मे (उप-स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल एवं जिला अस्पताल) में रेफरल-इन व रेफरल आउट का पृथक रजिस्टर (मार्गदर्शिका मे अनुलग्नक VI, VII के अनुसार) संधारित करें।
  1. उक्त रजिस्टर में रेफर किए गए मरीजों का नाम, अन्य विवरण, रेफरल का कारण समय व दिनांक एवं रेफर की गई संस्था के नाम आदि की जानकारी की प्रविष्टि की जावे।
    रेफरल स्लिप दो प्रतियों में बनाई जावे। एक प्रति चिकित्सालय रिकॉर्ड में संधारित की जावे व दूसरी प्रति रोगी को दी जावे व (रेफरल स्लिप पृष्ट क्रमांक 16 अनुसार) निम्नलिखित लेख किया जावे –
    ● स्लिप मे मरीज का नाम, पति/ पिता का नाम, पूर्ण पता, लिंग, आयु, आयुष्मान भारत “निरामयम अंतर्गत पंजीकरण, आदि।
    ● भर्ती का समय व दिनांक
    ■ भर्ती के समय मरीज की मुख्य लक्षण , वाइटल स्टेटस, चिकित्सालय में की गई समस्त जाँचे व उनकी रिपोर्ट्स, किए गए प्रोसीजर, इंटरवेंशन, सर्जरी व किया गया उपचार।
    अंतरिम/ अंतिम निदान
    ■ जिस संस्था मे रेफर किया जा रहा है, उसका नाम, पता व दूरभाष नंबर। रेफर की जाने वाली संस्था में जिस से भी संपर्क किया गया हो उनका नाम, पदनाम व दूरभाष नंबर।
    ● रेफर करने का कारण सहित समय व तिथि।
    ■ रेफर के समय मरीज के वाइटल स्टेटस।
    जिस चिकित्सक के अधीन मरीज को उपचार दिया गया है का नाम व दूरभाष नंबर व रेफर करने वाले चिकित्सक का नाम, दूरभाष नंबर, हस्ताक्षर व सील दर्ज की जावे।
    ■ परिवहन सुविधा -108 जननी/ शासकीय/ रोगी कल्याण समिति / स्वयं मरीज के परिजन द्वारा ।
    जहाँ तक संभव हो मरीज को शासकीय वाहन से निःशुल्क ही रेफर किया जावे। यदि किसी कारणवश शासकीय वाहन अनुपलब्ध है अथवा मरीज के परिजन द्वारा स्वयं परिवहन व्यवस्था की गई हो के संबंध मे स्पष्ट स्थिति रेफरल स्लिप मे व रेफर आउट रजिस्टर में दर्ज की जावे।
    मरीज को परिवहन के दौरान आवश्यक्तानुसार सुविधा उदाहरण आई. वी. ड्रिप, ऑक्सीजन, आदि सुनिश्चित करें। इस बात को सुनिश्चित किया जावे की ऑक्सीजन सिलिन्डर में ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है व परिवहन के समय इसकी कमी नहीं पड़ेगी।
    गंभीर मरीजों विशेषकर नवजात शिशुओं के साथ पेरामेडिकल स्टाफ को भी साथ मे भेजे। परिवहन के दौरान आवश्यक्तानुसार उन्हें ऑक्सीजन, आई. वी ड्रिप व आकस्मिक स्थिति में आवश्यक औषधियों के उपयोग बाबत निर्देश दिए जाये।
    गंभीर मरीजों को रेफर करते समय प्रभारी चिकित्सक परिवहन के समय आवश्यक सुविधाओं /उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

● रेफर्ड संस्था में छोड़कर आने के पश्चात पेरामेडिकल स्टाफ से मरीज की स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाये। अस्पताल की सामग्री यथा ऑक्सीजन सिलेंडर आकस्मिक ट्रे (म्उमतहमदबल ज्तंल) वापस लाने संबंधी रिकॉर्ड भी रेफरल स्लिप की कार्यालय प्रति मे दर्ज किया जाना सुनिश्चित करें।
परिवहन में प्रसव होने पर प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा प्रोटोकॉल अनुसार माता व शिशु का उचित प्रबंधन किया जावे।


यदि रेफरल मे मरीज की मृत्यु हो जाती है तो वाहन चालक द्वारा संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं राज्य स्तर पर कमांड कंट्रोल सेंटर को सूचना दी जावे एवं उसे वापस संस्था में लाया जावे व परिजनों की सहमति लेकर आवश्यक्तानुसार पोस्ट मॉर्टम किया जावे।
उच्च चिकित्सकीय संस्था मे रेफर कर के आए हुए समस्त मरीजों की जानकारी रेफरल इन रजिस्टर मे संकलित करना सुनिश्चित करें।
उच्च चिकित्सकीय संस्था मे उपचार देने वाले चिकित्सक द्वारा मरीज को फॉलोअप हेतु ब्रेक रेफरल हेतु (बेक रेफरल) स्लिप पृष्ट क्रमांक 19 अनुसार) जानकारी दो प्रतियों में संधारित कर एक प्रति मरीज को देवें व दूसरी चिकित्सा संस्था मे संधारित करें।
उच्च चिकित्सकीय संस्था में उपचार उपरांत मरीजों के फॉलोअप की व्यवस्था सी.एच.ओ के पर्यवेक्षण मे आशा कार्यकर्ता अथवा ए.एन.एम के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित करें एवं उक्त रिकॉर्ड का परीक्षण खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा मासिक रूप से किया जावे।
गंभीर मरीजों को 108 ए. एल. एस के माध्यम से रेफर करते समय चिकित्सालय को 108 कॉल सेंटर द्वारा संस्था प्रभारी को सूचित किया जाना सुनिश्चित किया जावे। यदि संस्था प्रभारी को आवश्यक लगे तो वे इमरजेंसी ड्यूटी मे विशेषज्ञ को सूचित कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें व ब्लड बैंक से आवश्यक्ता अनुसार ब्लड की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
गंभीर मरीज को चिकित्सालय में छोड़ते समय इमरजेंसी मे रिसीवींग 108 स्टाफ द्वारा ली जावे।
चिकित्सालय मे गंभीर मरीजों, गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को रिसीव करने के लिए दो व्यक्ति (सिक्युरिटी गार्ड,सफाई कर्मी,वार्ड बॉय,आया) को नामांकित करते हुए इनके नामजक आदेश संस्था प्रभारी द्वारा किया जाए। चिकित्सालय के प्रमुख गेट पर इन व्यक्तियों का नाम व दूरभाष क्रमांक स्पष्ट अक्षरों में लिखा जावे ।
चिकित्सालय में गंभीर मरीजों व गर्भवती महिलाओं को वाहन (108/जननी/ अन्य) से तब तक न उतारा जाए जब तक स्ट्रेचर या व्हील चेयर का इंतजाम न हो जावे।
बीमार नवजात शिशु को चिकित्सालय में एस.एन.सी.यू. मे पहुंचाने मे उपरोक्त नामांकित व्यक्ति द्वारा मदद की जावे।
यदि माँ के साथ शिशु को ट्रांसफर किया जाता है तो प्रसूता को व्हील चेयर स्ट्रेचर उपलब्ध किया जावे।
रेफरल के प्रकार प्रसूति, एक्सीडेंट, नवजात शिशु, शिशु रोग, गंभीर मरीज, आदि) के आधार पर रेफर करने वाली व रेफर्ड मरीज के प्रबंधन करने वाली संस्था द्वारा प्रत्येक तीन माह में रेफरल ऑडिट किया जावे।
उच्च संस्था मे रेफर होने के पश्चात हाई रिस्क प्रसूता का फॉलोअप सी. एच. ओ द्वारा किया जाना आवश्यक है।
यदि किसी भी परिवाहन चालक द्वारा परिवहन के दौरान मरीज से राशि वसूली जाती है तो संबंधित के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।


जारी आदेश में बताया गया कि इस पत्र के साथ सलंग्न मार्गदर्शिका में मरीजों की आवश्यक्तानुसार अन्य चिकित्सालयों में उपचार हेतु रेफर किए जाने के संबंध में विभिन्न बिंदुओं के आधार पर समायोजन कर तैयार की गई है। उक्त मार्गदर्शिका के तारतम्य मे लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर संबंधित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सुविधा हेतु डिजिटल रेफरल व डिजिटल डायरेक्टरी अपलोड किए गए है जो url www-health-mp-gov-in/en/referral&guidelines के माध्यम से उपलब्ध है।


अतः आपको निर्देशित किया जाता है की अपने अधीनस्थ चिकित्सालयों में पदस्थ चिकित्सकों, स्वास्थ्य प्रदायकर्ताओं (स्टाफ नर्स, ए.एन.एम. पेरामेडिकल स्टाफ, आशा कार्यकर्ता, आदि) का मार्गदर्शिका अनुसार उन्मुखीकरण कर निर्देशानुसार कार्यवाही किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

हिन्दुस्थान संवाद

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