सिवनीः पेंच नेशनल पार्क में मिला दुर्लभ लिमाकोडिड स्लग कैटरपिलर

फारेस्टर गार्ड नदीम खान की त्वरित नजर में कैद हुआ अनोखा जीव

सिवनी, 14 नवम्बर।मध्यप्रदेश के सिवनी जिले स्थित पेंच नेशनल पार्क में पदस्थ फारेस्टर गार्ड नदीम खान ने शुक्रवार की अल सुबह नियमित वन गश्ती के दौरान एक अत्यंत दुर्लभ और आकर्षक जीव लिमाकोडिड स्लग कैटरपिलर को मौके पर देखा और उसका छायाचित्र अपने कैमरे में सफलतापूर्वक कैद किया।


‎#junglewallaspeaks इस छवि में दिखाई देने वाला यह जीव आमतौर पर जिलेटिन कैटरपिलर या जेली बीन कैटरपिलर के नाम से भी जाना जाता है। यह अनोखा रूप वाला कैटरपिलर लिमाकोडिडे परिवार से संबंधित है, जिन्हें आगे की अवस्था में कप मॉथ कहा जाता है।

जीव की विशेषताएँ , स्वरूप:
यह कैटरपिलर अपने विशिष्ट, चिपचिपे और पारभासी (translucent) शरीर के कारण तुरंत ध्यान आकर्षित करता है। पीले धब्बों के साथ चमकीला नीला रंग इसकी सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता है, जिसके कारण इसे जेली बीन कैटरपिलर का नाम भी मिला है।

परिवार: यह लिमाकोडिडे (Slug Moth) परिवार का लार्वा है, जिसमें पाए जाने वाले कैटरपिलर आमतौर पर स्लग जैसे दिखते हैं, इसलिए इन्हें स्लग कैटरपिलर’ कहा जाता है।

कोकून निर्माण: इन कैटरपिलरों की सबसे रोचक विशेषता इनका कप के आकार का कोकून बनाना है। यही कारण है कि इनके वयस्क रूप को कप मॉथ कहा जाता है। यह कोकून कठोर, सुरक्षित और अनोखे आकार में निर्मित होता है।

वन विशेषज्ञों के अनुसार लिमाकोडिड स्लग कैटरपिलर वन पारिस्थितिकी (Forest Ecology) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपस्थिति स्वस्थ और जैव-विविध वनों का संकेत मानी जाती है। यह प्रजाति सामान्यतः घने, नमी वाले तथा विविध पत्तीय वनक्षेत्रों में पाई जाती है, जहाँ इनका जीवन-चक्र शांत वातावरण में पूरा होता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि इन कैटरपिलरों का अनोखा जिलेटिन जैसा शरीर न केवल इन्हें शिकारी जीवों से बचाता है, बल्कि पारदर्शी व चिपचिपा स्वरूप इनका प्राकृतिक सुरक्षा कवच भी होता है। चमकीले रंग भी संभावित शिकारी को सतर्क करने का कार्य करते हैं, जिसे जीव विज्ञान में अपोस्मेटिज्म (Aposematism) कहा जाता है।

पेंच लैंडस्केप जैसे संरक्षित क्षेत्रों में ऐसे दुर्लभ जीवों का रिकॉर्ड होना वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह संकेत देता है कि पार्क का माइक्रो-हैबिटैट अभी भी समृद्ध और संवेदनशील प्रजातियों के लिए अनुकूल है।
वन विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे प्रजाति-साक्ष्य वन प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में जरूरी हैं।