कृषि वैज्ञानिको ने किया कृषको के प्रक्षेत्रो का भ्रमण

कृषि विज्ञान केन्द्र, सिवनी (6)

फसलो की बेहतर पैदावार हेतु दी समसमयिकी सलाह

सिवनी,19 सितम्‍बर । कृषि विज्ञान केन्द्र, सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ शेखर सिंह बघेल के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के दल डॉ. एन. के. सिंह , डॉ. जी. के. राणा , इंजी. कुमार सोनी , डॉ.के.पी.एस. सैनी और प्रशांत कुर्मी द्वारा ग्राम सीलादेही , फरेदा एवं सिमरिया जिला सिवनी में कृषको के प्रक्षेत्र लगी मक्का, सोयाबीन एवं धान की फसल का भ्रमण एवं अवलोकन किया गया तथा किसान भाईयो को फसलो मे लगे कीट-व्याधियों का निदान बताया गया। भ्रमण के दौरान यह देखा गया की लगातार वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल पीली पडने लगी है अतः किसान भाइयों को सलाह दी जाती है मौसम साफ होने पर मक्का सोयाबीन, सब्जी वर्गीय फसलों की बढत को बरकरार रखने के लिए खेतों में जल निकासी का उचित प्रबंधन करें।

वर्तमान मे मक्का फसल मे फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप देखा गया, इस कीट के प्रकोप से पत्तियों पर कटे-फटे छिद्र जैसे लक्षण भी दिखाई देते है पुराने लारवा गौब के अन्दर ही रहकर खाते रहते है इस कीट के नियंत्रण के लिए वर्तमान में स्पिनेटोरम 11.7 % एससी 100 मिली या क्लोरईन्ट्रेनेलिप्रोल 18.5 एससी 80 मिलीअथवा इमामेक्टिन बेंजोएट 100 ग्राम मात्रा प्रति ऐकड की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। मक्का के कुछ खेतो में टरसिकम लीफ ब्लाईट रोग का प्रकोप देखा गया इस रोग में पौधो की निचली पत्तियों मे धारी नुमा धब्बे दिखाई देते हे।साथ ही मक्के की फसल मेंबैंडेड लीफ एवं शीथ ब्लाइट रोग का प्रकोप देखा गया है। रोग की तीर्वता अधिक होने पर पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक अजाक्सीस्ट्रोविन 18.2 प्रतिशत+ डाईफेनोकोनाजोल 11.4 प्रतिशत डब्लू/डब्लू एस सी का 1 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। वर्तमान में धान की फसल में ब्लास्ट झुलसा रोग का प्रकोप भी देखा जा रहा है। इस बीमारी में धान की पत्तियों में 15 से.मी. लंबाई तथा 0.5 से.मी. चैडाई का आँखनुमा आकार बना होता है ये धब्बे बाद में आकार में बडे होकर आपस में मिल जाते है जिससे पूरी पत्ती पर अनियमित आकार के धब्बे निर्मित हो जाते है नियंत्रण के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी. का 0.6 ग्राम या (ट्राइसाइक्लाजोल + मैन्कोजेव) का 2.5 ग्राम या इप्रोबेनफास 48 ई. सी. का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाब करें जैविक नियंत्रण के लिए बोटानिकल्स जैसे बेल या तुलसी की पत्ती 25 ग्राम पेस्ट प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर उपयोग करें धान की फसल में इस समय शीथ ब्लाइट रोग जमीन की सतह से जुडे पौध वाले भाग पहले गहरे भूरे धब्बो के रूप में दिखता है एवं धीरे-धीरे पूरे तने पर फैल जाता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए ऐजाक्सीस्ट्रोबिन 23 प्रतिशत का 1 मि.ली. या हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत का 2 मि.ली. या वेलीडामाईसिन 3 एस. एल. का 2 मि.ली. या एजोक्सीस्ट्रोबिन 18.2 प्रतिशत + डायफेनोकोनाजोल 11.4 प्रतिशत एस. सी का 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें कुछ क्षेत्रों में गाल मिज, पोंगा कीट का प्रकोप धान की फसल में देखा जा रहा है इसके नियंत्रण के लिए कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत दानेदार का 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाले या पोंगा के नियंत्रण के लिए पर्णीय छिडकाव फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस. सी. का 3 मि.ली. या क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. का 4 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। सोयाबीन फसल में तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप देखा गया नियंत्रण हेतु क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी 100 मि.ली../ है. छिडकाव की सलाह दी गई। इसी प्रकार सोयाबीन फसल में  तना मक्खी एवं गर्डल बीटल के नियंत्रण हेतु कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लुथ्रिन + इमीडाक्लोप्रीड 350 मि.ली./है. या थायमिथोक्सम + लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मि.ली./है. का छिडकाव करें। जहां केवल सेमीलूपर इल्लियों का प्रकोप हो रहा है, वहां लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 4.9 एस. सी. (300 मि.ली./है.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई. सी. (333 मि.ली./हेक्टे.) या फ्लूबेन्डियामाईड 39.35 एस. सी. (150 मि.ली./है.) या फ्लूबेन्डियामाईड 20 डब्ल्यू. जी. (275 मि.ली./हेक्टे. का छिडकाव करें। सोयाबीन फसल में एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल (625 मि.ली./है.) अथवा टेबूकोनाझोल + सल्फर (1 कि.ग्रा./है) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू. जी. (500 ग्राम./है.) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 ई. सी. (800 मि.ली./है.) से छिडकाव करें। चूंकि सोयाबीन की फसल अब लगभग 70 दिन की और घनी हो चुकी है, अतः रसायनों का अपेक्षित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए 500 ली. पानी प्रति हेक्टे. का प्रयोग अवश्य करें।  जिन क्षेत्रों में अभी भी जल भराव की स्थिति है, सलाह है कि शीघ्रातिशीघ्र अतिरिक्त जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें। कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर पीला मोजाइक वायरस जनित बीमारी का प्रकोप दिख रहा है अतः यह सलाह है कि इसके फैलाव को रोकने हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही अपने खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएं जिससे इसका संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण होने में सहायता मिलें। इसके रोकथाम हेतु यह भी सलाह है कि फसल पर पीला मोजाइक रोग के लक्षण दिखते ही ग्रसित पौधों को अपने खेत से निष्कासित करें। ऐसे खेत में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुषंसित पूर्व मिश्रित सम्पर्क रसायन जैसे बीटासायफ्लुथ्रिन +इमिडाक्लोप्रीड (350 मिली./ है.) या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली./है.) का छिड़काव करें जिससे सफेद मक्खी के साथ-साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी एक साथ नियंत्रण हो सकें।