पुरानी सगाई टूटने पर पत्‍नी को कहा सैकेंड हैंड, हाईकोर्ट ने भी फटकारा; देना होगा 3 करोड़ का मुआवजा

after divorce wife should give five thousand to husband every month court  orders woman runs beauty parlor indore - पति को हर महीने 5 हजार गुजारा  भत्ता दो; कोर्ट ने पत्नी को

नई दिल्‍ली । पत्नी (Wife)के साथ मारपीट(Beating) के आरोपी शख्स को अब करोड़ों रुपये मुआवजा (crores of rupees compensation)और 1 लाख रुपये से ज्यादा गुजारा भत्ता (alimony)देना पड़ेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court)ने घरेलू हिंसा से जुड़े मामले में आरोपी को राहत नहीं दी और ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट का कहना है कि यह राशि सिर्फ शारीरिक चोटों के लिए नहीं, बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानियों के लिए दी गई है।

क्या था मामला

कपल ने जनवरी 1994 में शादी की थी और अमेरिका में बस गए थे। खबर है कि दोनों ने वहा भी शादी समारोह का आयोजन किया था। साल 2005 में जोड़ा भारत लौट आया और दोनों के मालिकाना हक वाले घर में रहने लगा। साल 2008 में महिला अपनी मां के घर पर रहने लगी और पुरुष साल 2014 में अमेरिका लौट गया।

जुलाई 2017 में महिला ने पति के खिलाफ DVA के प्रावधानों के तहत मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के कोर्ट में केस दर्ज कराया। महिला का आरोप है कि पुरानी सगाई टूटने को लेकर हनीमून के दौरान पति ने उसे सैकेंड हैंड कहा था। महिला के आरोप हैं कि अमेरिका में भी उसके साथ चरित्र पर शक किया गया था और अन्य पुरुषों के साथ नाजायज संबंधों के आरोप लगाए जाते थे। महिला ने आरोप लगाए हैं कि जब तक वह आरोपों को स्वीकार नहीं कर लेती थी, तब तक उसके साथ मारपीट की जाती थी।

महिला पति के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार हुआ

निचली अदालत ने जनवरी 2023 में आदेश जारी किया, जिसमें कहा कि महिला पति के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार हुआ। साथ ही पति को 3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के भी आदेश दिए गए। अदालत ने पति को आदेश दिए कि पत्नी के दादर इलाके में कम से कम 1 हजार सक्वायर फीट कार्पेट एरिया का घर दिलाए या घर के किराए के लिए 75 हजार रुपये दे।

कोर्ट ने पति को महिला के सभी गहने लौटाने और 1 लाख 50 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने के भी आदेश दिए थे। ट्रायल कोर्ट का आदेश जाने के बाद पति ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

HC में क्या हुआ

हाईकोर्ट ने पाया कि मजिस्ट्रेट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट इस नतीजे पर चर्चाओं के आधार पर पहुंची है कि साल 1994 से लेकर 2017 तक लगातार घरेलू हिंसा की घटनाएं हुई हैं, जिन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता। जस्टिस शर्मिला देशमुख ने कहा कि आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई भी कारण नजर नहीं आता है।

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