रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए 108 कलशों में 600 किलो घी जोधपुर से अयोध्या पहुंचा, थाईलैंड की अयुत्थया से रज

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए 108 कलशों में 600 किलो घी जोधपुर से अयोध्या पहुंचा है। कंबोडिया से हल्दी आई है और थाईलैंड की अयुत्थया से रज आया है।

नई दिल्‍ली  । रामलला के दिव्य मंदिर निर्माण (Construction)के लिए धन समर्पण के साथ राम भक्त अपनी-अपनी भावना (Emotion)से कुछ न कुछ भेंट दे रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार (Thursday)को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala’s life prestige)के अनुष्ठान व मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करने के छह सौ किलो गाय का देसी घी दान किया गया। खास ये है कि यह घी महर्षि संदीपनी राम धर्म गोशाला बनाड़ जोधपुर 108 कलशों में भरकर पांच बैलगाड़ियों में यहां लाया गया। जोधपुर से 27 नवंबर को निकली यह यात्रा दसवें दिन गुरुवार को कारसेवकपुरम पहुंची। इस संकल्पित घी के कलश को महर्षि संदीपनी महाराज ने श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को भेंट किया।

पहले मटके फिर स्टील की टंकियां व स्टोरेज के लिए जड़ी-बूटियों का किया प्रयोग
महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरुआत में वह मटकी में घी एकत्रित कर रहे थे। गर्मी की वजह से घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में भी दरारें आने लगी। एकाध बार घी खराब भी हो गया। फिर पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोर किया जा सकता है तो वह हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया। इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालकर वातानुकूलित वातावरण में 16 डिग्री तापमान में रखा। सुरक्षित स्टोरेज का ही नतीजा है कि नौ साल बाद भी यह घी पहले जैसा ही है। इस घी को हर तीन साल में जड़ी-बूटियों के साथ उबाला भी गया।

गायों की भोजन में किया बदलाव, बाहरी खाद्य पदार्थ रखें प्रतिबंधित
महाराज संदीपनी ने बताया कि यदि घी में मिलावट हो तो वो जल्दी खराब हो जाता है। उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है, वह प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से ये खराब नहीं होता। उन्होंने बताया कि घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए गायों की खान-पान में भी बदलाव किया गया। इन गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया गया। इन तीन चीजों के अलावा बाकी सारी चीजों पर पाबंदी लगा दी। गोशाला में आने वाले लोगों को भी साफ हिदायत दी गई कि इन गायों को बाहर से लाया गया कुछ न खिलाए।

जान गंवाने वाले कारसेवकों को किया याद
इस दौरान तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने जोधपुर की धरती को नमन करते हुए कहा कि मथानिया गांव के प्रो. महेन्द्र सिंह अरोरा व उनके साथ आए 18 वर्षीय बालक सेठाराम माली को दो नवम्बर 1990 को दिगम्बर अखाड़ा के निकट पुलिस ने गोली मार दी थी। उन्होंने कहा शायद यह उन्हीं हुतात्माओं की प्रेरणा के कारण देव कार्य की आहुति के लिए यहां आया है। इस अवसर पर संदीपनी महाराज ने कहा कि 2014 में गोकशी के लिए जा रही ट्रक को रोककर उसमें भरी 60 गोवंश को बचाया गया और उन्हीं से गोशाला शुरू की गई। बताया गया कि गोशाला में अब करीब साढ़े तीन सौ गायें मौजूद हैं। गौशाला के आरम्भ में ही महाराज ने राम मंदिर के लिए घी सौंपने का संकल्प लिया था। यह संकल्प जन सहयोग से पूर्ण हो गया।

कंबोडिया से आई हल्दी व थाईलैंड की अयुत्थया से रज
जोधपुर से पहुंचे गौ घृत को प्राप्त करने के दौरान कार्यक्रम में मौजूद श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने बताया कि गुरुवार का दिन बहुत मंगल का दिन है जब हमें गौ घृत, मंगल कलश, कमल दल, सुवर्ण व गंज का दर्शन हुआ। यह सभी देवी सरस्वती के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि वह वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में हिस्सा लेने कंबोडिया गये थे। वहां उन्हें राम मंदिर के अनुष्ठान के लिए शुद्ध हल्दी भेंट में दी गई। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक के राजा टेन राम ने वहां की मिट्टी भिजवाई। बताया कि अयोध्या की तरह ही थाइलैंड में भी एक अयोध्या है। वहां इसे अयुत्थया कहते हैँ। वहां मौजूद उसी प्राचीन अयुत्थया की रज (मिट्टी) भेंट की है। इस दौरान तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा. अनिल मिश्र व मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव एवं विहिप केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज मौजूद रहे।

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