8 नवंबर से बदलेंगे हालात,तड़प रही है दिल्ली, ‘जहर’ कब होगा कम? जाने IMD की भविष्यवाणी

नई दिल्ली: दिल्ली तड़प रही है… कभी गुलजार ने लिखा था, ‘सांस लेना भी कैसी आदत है…’ नवंबर में दिल्ली का दम घुटते देख अब गुलजार को शायद लिखना पड़ जाए, ‘सांस लेना भी कैसी आफत है!’ दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा में जहर घुल चुका है। सेफ लेवल से 33 गुना ज्यादा! आज भी अधिकतर इलाकों का एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स (AQI) 400 से ज्यादा है। शनिवार को भी लगातार पांचवें दिन धुंध की एक घनी परत छाई हुई है। PM2.5 की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्‍टैंडर्ड सीमा से करीब 80 गुना अधिक है। दिल्‍ली का प्रदूषण अब घातक हो रहा है। अभी 6 नवंबर तक जहरीली हवा से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, पराली जलाने के साथ-साथ मौसमी स्थितियों की वजह से प्रदूषक जमा हो रहे हैं। दिल्‍ली में शुक्रवार को ओवरऑल AQI 475 तक पहुंच गया था। नवंबर में इतना ज्यादा AQI आखिरी बार 2021 में हुआ था, जब 12 नवंबर को AQI 471 पहुंच गया था। दिल्‍ली में प्रदूषण पर टॉप अपडेट्स देखिए

हवा के रुख पर डिपेंड करेगी प्रदूषण की चाल

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र (RWFC) के वैज्ञानिक और प्रमुख, कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि अगले दो दिनों तक हवा की गति में कोई खास बदलाव की उम्मीद नहीं है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार होने की संभावना है, लेकिन 6 नवंबर तक ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रहेगी। AQI के अगले छह दिनों तक गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है।

दिल्ली में अभी छह दिन बारिश का चांस नहीं

दिल्‍ली को हवा की बेहतर गति या बारिश से राहत मिल सकती है, लेकिन दोनों ही संभव नहीं हैं। IMD के पूर्वानुमान के अनुसार दिल्ली में कम से कम अगले छह दिनों तक बारिश नहीं होगी। हालांकि एक पश्चिमी विक्षोभ की संभावना से कुछ उम्मीद है। इस पश्चिमी विक्षोभ से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने की उम्मीद है, लेकिन दिल्ली में नहीं। फिर भी यह हवा सिस्‍टम को बदल सकता है।

फेफड़ों की आफत है! PM2.5 की मात्रा घातक

गुरुवार दोपहर को, आनंद विहार में प्रति घंटा PM2.5 का स्तर मानकों से 33 गुना ज्‍यादा बढ़ गया। 1,985 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सांद्रता दर्ज की गई। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित गाइडलाइन से 132 गुना ज्यादा है।

हवा की रफ्तार और दिशा से बढ़ा पराली के धुएं का असर

एक्सपर्ट्स के अनुसार, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से शुक्रवार को दिल्‍ली-NCR में प्रदूषण बढ़ा। हवा की स्पीड और दिशा भी धुएं को इधर लाने में सहायक रही। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अडवांस्‍ड स्टडीज (NIAS) के चेयरमैन प्रफेसर और सिस्टम ऑफ एयर क्‍वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के फाउंडर, गुफरान बेग में कहा, ‘दिल्ली के PM2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी इस सीजन में सबसे अधिक थी क्योंकि हवा की गति और दिशा धान के अवशेष जलाने से निकले प्रदूषकों को दिल्ली तक ले जाने के लिए अनुकूल थी। चूंकि दिल्ली में स्थानीय हवा की गति और तापमान कम रहा, इससे प्रदूषक जमा हो गए।’

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