Seoni: प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त और बाजार भाव भी अधिक -बीटीएम धनौरा
सिवनी, 01 अगस्त। जिले में प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने और बढावा देने के लिये सतत रूप से किसान कल्याण एवं विकास विभाग द्वारा आत्मा योजनांतर्गत प्राकृतिक खेती पर कृषको को प्रशिक्षण देकर लाभान्वित किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को धनौरा विकासखंड में आयोजित किसानों के प्रशिक्षण शिविर में बीटीएम धनौरा द्वारा प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को विस्तार से समझाया गया था तथा यह बताया गया कि किसान प्राकृतिक खेती करे तो उनके उत्पादन की लागत कम हो सकती है। खेती मे लगातार रासायनिक उर्वरको, कीटनाशको के उपयोग से किसानो की उत्पादन लागत बढ़ रही है।
जो मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यदि किसान प्राकृतिक खेती करे तो लागत कम होने के साथ-साथ रसायन मुक्त उत्पादन प्राप्त होगा। जिसका बाजार भाव भी अधिक रहता है।
आगे बताया गया कि प्राकृतिक खेती मे जीवांमृत, घनजीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र आदि का उपयोग किया जाता है। जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमुत्र पर आधारित है। 1 एकड़ क्षेत्र के लिये जीवांमृत बनाने हेतु देसी गाय का 10 किलो गोबर, 10 ली. गौमुत्र, 1.5 किलो गूड़ और 1 किलो बेसन, बरगद या पीपल के पेड़ के निचे की मिट्टी 1 कि.ग्रा. एवं 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जीवांमृत 6 से 8 दिनो मे बनकर तैयार हो जाता है, इसे खेत मे डालने से जीवाणुओ की संख्या मे वृद्धि व प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्वो मे वृद्धि होती है।
उप संचालक सह परियोजना संचालक आत्मा मोरिस नाथ के मार्गदर्षन में विकासखण्डों के ब्लॉक टैक्नालॉजी मैनेजर एवं कृषिगत अमले द्वारा यह प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें खेती पोर्टल पर पंजीकृत कृषकों एवं अन्य इच्छुक कृषको को प्रशिक्षण देकर प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है।
हिन्दुस्थान संवाद
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