Seoni: अहिंसा से ही विश्वशांति की कामना,चांदी के रथ पर विराजे श्रीजी, निकली शोभायात्रा

सिवनी, 14 अप्रैल। भगवान महावीर ने अपने जीवन में लोक कल्याण का मार्ग अपनाया तथा विश्व शांति का संदेश दिया। उनका मानना था कि अहिंसा से ही विश्व शांति की कामना की जा सकती है। निर्वाण के लिए व्यक्ति को आचरण ज्ञान, विश्वास को शुद्ध करना चाहिए। वे जानते थे कि आने वाला समय दुखों से भरा होगा। मनुष्य के मन वचन और काय की क्रियाएं ज्यादा नकारात्मक रहेंगी। दूसरों को देखने के बजाए खुद को और अपनी चर्याओं को देखना चाहिए। दूसरों के चक्कर में रहेंगे तो स्वयं संसार का चक्कर लगाते रहेंगे। इस तरह तुम जहां रहोगे सुखी अनुभव करोगे। उक्त उद्गार मुनिश्री आदित्य सागर ने महावीर जंयति पर आयोजित राम मंदिर प्रांगण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
प्रातः भगवान का महामस्तिष्काभिषेक किया गया। दोपहर में चेन्नई से आए ब्रास बैंड पार्टी ने ढोल ढमाकों से सुर बिखेरा। चांदी के रथ पर श्रीजी के सारथी बनने का सौभाग्य विनोद जैन को प्राप्त हुआ। महिलाओं ने भव्य शोभायात्रा में भजनों से भगवान महावीर की जयकार की। युवा और बुजुर्गों ने सिर पर पगड़ी व श्वेत व पहने। महिलाओं ने रंग बिरंगी पोशाक में सिर पर कलश रखे। घर ग्र पाठशाला की संयोजक सुशीला बांगर, सुनीता जैन ने शोभायात्रा में पेय पदार्थ का वितरण कराया। महावीर जंयती के संयोजक पारस जैन ने कहा कि भगवान महावीर के उपदेशों को आत्मसात करने वाले हिंसा का तांडव नहीं कर सकते। यूक्रेन और रूस बिखर गए। वहां के बच्चे अनाथ हो गए। इस अवसर पर निकाला गया जुलूस शुक्रवारी से प्रारंभ होकर नेहरू रोड, बुधवारी बाजार, जीएन रोड, नगरपालिका, बस स्टेंड गांधी भवन, होते हुए पुनरू जैन मंदिर के सामने समाप्त हुआ। रात्रि में महिलाओं और बालिकाओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
हिन्दुस्थान संवाद

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