अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाएं किताब का वह पहला पन्ना है जिसके बिना कहानी की शुरुआत ही नही-डॉ.महेन्द्र नायक
अभाव, अशिक्षा एवं अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी महिलाओं को शोषण का शिकार बनाती है, वास्तव में महिलाएं किताब का वह पहला पन्ना है जिसके बिना कहानी की शुरुआत ही नहीं होती है। इसके लिए व्यापक जन-जागृति के साथ महिलाओं को स्वयं आगे आना होगा, अपनी अज्ञानता का अहसास होना, ज्ञान की दिशा में बहुत बडा कदम होता है।
अपने अधिकारों को जानना होगा तथा सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए जागरूकता का होना भी नितांत आवश्यक है,
महिलाओं के लिए बनाए गए कानून का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए, कानून को जानने के लिए स्वयं को आगे आना होगा, क्योंकि इसकी शुरुआत भी स्वयं से होती है। जागरूकता के अभाव में वो अपराध तथा अपराधी से समझौता करना प्रारंभ कर देती है ऐसी स्थिति में अगर महिलाएं एक बार समझौता करने का प्रयास करती हैं तो शायद वह इसका अंत नहीं देख पाती हैं, इसलिए अपराध के प्रारंभिक स्तर में समझौता करने के बजाय कानून के माध्यम से सामना करना चाहिए लेकिन ध्यान रहे कानून का उपयोग ढाल के रुप में होना चाहिए ना कि तलवार के रूप में।
महिला अपराध के संबंध आज व्यापक कानून बने हुए हैं और होना भी चाहिए लेकिन इस दायित्वबोध का परिचय भी महिलाओं को देना होगा कि वह किसी निर्दाेष व्यक्ति को अपना उत्पीड़न का जरिया न बनाये। हालांकि कानून बना देने मात्र से अपराध में कमी की आशा करना बेमानी होगी हमें अपने पुरुषवादी अहम का भी त्याग करना होगा।
महिलाओं को आगे बढने के लिए स्वायत्ता एवं स्वतंत्रता भी प्रदान करनी होगी, यह सब अधिकार संपन्न एवं संवेदनशील समाज से ही संभव है।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें स्थानीय स्तर पर मजबूत बनाना होगा क्योंकि बिखरा हुआ समूह कभी भी बडी उपलब्धि हासिल नहीं कर सकता लेकिन आपस में लडकर शत्रु को बादशाह जरूर बना देता है।
लेखक जिला न्यायालय सिवनी में विधिवेत्ता है।
’डॉ. महेन्द्र नायक एडवोकेट’
सिविल कोर्ट, सिवनी
मो. 9425446179
9826789987