सुनीता विलियम्स की तीसरी उड़ान, आज शनिवार रात नए अंतरिक्ष यान में भरेंगी उड़ान
वॉशिंगटन। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष में उड़ान भरने जा रही हैं। ये उनकी तीसरी उड़ान होगी। वे इसके पहले भी दो बार अंतरिक्ष के लिए उड़ान भर चुकी हैं। वह बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में जाएंगी, जो फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से आज शनिवार रात 10 बजे उड़ान भरेगा। इससे पहले सात मई को अंतरिक्ष यान के ऑक्सीजन वाल्व में तकनीकी खामी के कारण उनकी उड़ान को रोक दिया गया था।
अमेरिका के स्पेस एजेंसी नासा ने कहा, अगर सब सही रहा तो स्टारलाइनर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर डॉक कर जाएगा, जिसके बाद सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अपने साथियों के साथ स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान और उसके उप-प्रणालियों का परीक्षण करने के लिए लगभग एक सप्ताह तक स्टेशन पर रहेंगे।
सुनीता ने पहले कब-कब भरी थीं उड़ानें
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में रिकॉर्ड 322 दिन बिता चुकी हैं और उनके पास सबसे ज्यादा घंटे तक स्पेसवॉक करने वाली महिला वैज्ञानिक होने का रिकॉर्ड है। विलियम्स पहली बार 9 दिसंबर 2006 को अंतरिक्ष में गईं थी और 22 जून 2007 तक अंतरिक्ष में रहीं थी। सुनिता विलियम्स ने चार बार रिकॉर्ड 29 घंटे और 17 मिनट तक स्पेसवॉक किया था। इसके बाद सुनीता विलियम्स 14 जुलाई 2012 को दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गईं और 18 नवंबर 2012 तक अंतरिक्ष में रहीं थी। 59 वर्षीय सुनीता विलियम्स ने बताया कि उड़ान से पहले वह थोड़ी नर्वस थीं, लेकिन साथ ही नए अंतरिक्ष यान में उड़ान को लेकर वह उत्साहित भी थीं। विलियम्स ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन उनके लिए दूसरे घर जैसा है।
सुनीता के पास है इतिहास रचने का मौका
बता दें कि सुनीता विलियम्स तीसरी बार अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली है। इसी के साथ उनके पास न्यू स्पेस शटल के पहले चालक दल वाले मिशन पर उड़ान भरने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रचने का मौका है। सुनीता ने बताया कि वह थोड़ी सी घबराई हुई हैं, लेकिन नए अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने आगे कहा, “जब मैं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचूंगी, तो यह घर वापस जाने जैसा होगा।” 59 वर्षीय सुनीता ने स्टारलाइल को डिजाइन करने में इंजीनियरों की मदद की। इस 10 दिन के मिशन में स्टारलाइनर को अपनी अंतरिक्ष योग्यता साबित करने का मौका मिलेगा। इसी के आधार पर उसे नासा प्रमाणन दिया जाएगा।
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