पाकिस्तान की अब खैर नहीं, बौखलाए बलोच ने युद्ध छेड़ने का ऐलान; ईरान में क्यों बने निशाना
नई दिल्ली । ईरान और पाकिस्तान (Pakistan)द्वारा एक-दूसरे पर किए गए एयरस्ट्राइक (airstrike)ने इलाके में नया तनाव (Tension)पैदा कर दिया है। मंगलवार को ईरान ने सीमाई इलाके बलूचिस्तान-सिस्तान (Balochistan-Sistan)में मिसाइल से हमला किया और आतंकी समूह जैश अल-अदल को निशाना बनाया तो जवाबी हमले में पाकिस्तानी वायु सेना ने गुरूवार को ईरान के सीमाई क्षेत्र सिस्तान में एयरस्ट्राइक कर बलोच विद्रोहियों और अलगाववादियों के ठिकानों पर हमले किए। इससे बौखलाए बलोच अलगाववादियों ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने का ऐलान कर दिया है।
पाकिस्तान ने ईरानी भू भाग में जिन संगठनों के ठिकानों पर हमले किए हैं, उनमें बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलोचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) शामिल है। बीएलए ने एक बयान जारी कर कहा है कि ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान क्षेत्र में पाकिस्तानी हमले में हमारे कई लोग मारे गए हैं। इसलिए पाकिस्तान को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। इस समूह ने चेतावनी दी है, “अब बलूच लिबरेशन आर्मी चुप नहीं बैठेगी। हम इसका बदला लेंगे और हम पाकिस्तान पर युद्ध की घोषणा करते हैं।”
क्या है बलूचिस्तान का मामला
बलूचिस्तान का मतलब होता है बलूचों की भूमि। यह एक देश नहीं है बूल्कि पश्चिमी पाकिस्तान का एक प्रांत है। क्षेत्रफल के मामले में यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। क्वेटा इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। 1947 में जब पाकिस्तान भारत से अलग हुआ और एक आजाद देश बना तब यह इलाका भी पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। बलूचिस्तानों का आरोप है कि वे लोग एक अलग मुल्क की मांग कर रहे थे लेकिन जबरन उन्हें पाकिस्तान में मिला दिया गया। इसके बाद से ही वहां के लोगों के साथ पाकिस्तान सरकार के साथ संघर्ष जारी है।
कौन हैं बलूच अलगाववादी
बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले कई अलगाववादी समूह इलाके में सक्रिय हैं। उन्हीं में एक अलगाववादी गुट है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA), जो इलाके में वर्ष 2000 से ही सक्रिय है। माना जाता है कि इस संगठन का वजूद पहली बार 1970 के दशक में आया था। जब जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार ने बलूचों पर दमन शुरू किया तो बलोचों ने सशस्त्र बगावत शुरू कर दी।
बाद में सैन्य तानाशाह जियाउल हक ने इस बगावत को दबा दिया और बातचीत कर बलोच नेताओं को मना लिया लेकिन आग अंदर ही अंदर सुलगती रही। जमीनी अलगवावादी नेताओं ने मिलकर फिर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी बना ली। लंबे समय तक भूमिगत रहने के बाद साल 2000 के आसपास ये संगठन फिर से सक्रिया हुआ। कुछ लोगों का मानना है कि इसी साल बीएलए की स्थापना हुई।
फिलहाल बीएलए का नेतृत्व बशीर ज़ेब बलूच कर रहा है, जो संगठन का कमांडर-इन-चीफ है और कई रहस्यों से घिरा हुआ है। जुलाई 2023 में जारी एक वीडियो संदेश में, बलूच ने कहा कि समूह का सशस्त्र प्रतिरोध पाकिस्तान द्वारा “औपनिवेशिक उत्पीड़न” के लिए एक आवश्यक प्रतिक्रिया थी। ताजा मामले में BLA के प्रवक्ता आजाद बलोच की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “ईरान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में बीएलए की मौजूदगी नहीं है और पाकिस्तान ने आम नागरिकों पर हमला किया है।”
बलूचिस्तान अहम क्यों?
बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो प्राकृतिक गैस और खनिजों से समृद्ध है और हिंद महासागर और रणनीतिक होर्मुज जलडमरूमध्य तक पहुंच प्रदान करता है। यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के माध्यम से चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का केंद्र भी है। जातीय बलूच आतंकवादियों ने लंबे समय से पाकिस्तानी सरकार से लड़ाई की है, एक अलग राज्य की मांग की है और इस्लामाबाद पर बलूचिस्तान के समृद्ध संसाधनों का शोषण करने का आरोप लगाया है। इन समूहों ने क्षेत्र में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, बुनियादी ढांचे और चीनी हितों पर हमला किया है।
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन की कई रिपोर्टें आई हैं, जिनमें कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना द्वारा गैर-न्यायिक हत्याएं और बलूचों को जबरन गायब करना शामिल है। मानवाधिकार संगठनों ने इसके लिए पाकिस्तान पर जवाबदेही तय करने की मांग की है, जबकि पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता रहा है। हालिया हवाई हमले पाकिस्तान और बलूच अलगाववादी समूहों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देते हैं, जिसका क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों, विशेष रूप से ईरान और चीन पर असर पड़ सकता है।
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