संयुक्त राष्ट्र सदस्यता देने की फलस्तीन की मांग का भारत ने किया समर्थन

वॉशिंगटन। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए फलस्तीन की मांग का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक बार फिर इस्राइल-फलस्तीन विवाद पर भारत का रुख साफ किया और कहा कि दो राष्ट्र सिद्धांत ही दोनों देशों के बीच विवाद का समाधान कर सकता है। रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत, दो राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। तभी फलस्तीन के लोग सुरक्षित सीमाओं के साथ आजादी से रह सकेंगे। साथ ही इस्राइल की सुरक्षा चिंताओं का भी समाधान हो सकेगा।

बता दें कि पिछले महीने अमेरिका ने फलस्तीन की इस मांग का विरोध किया था। रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘हमें उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता पर उचित समय पर पुनर्विचार किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के फलस्तीन के प्रयास को समर्थन मिलेगा।’ गौरतलब है कि साल 1974 में फलस्तीन मुक्ति संगठन को फलस्तीन के लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला भारत पहला गैर अरब देश था।

1988 में भारत ने फलस्तीन को अलग देश की मान्यता दी थी। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करते हुए रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘भारत के नेतृत्व ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि इस्राइल और फलस्तीन के बीच सीधी और सार्थक बातचीत होनी चाहिए और दोनों देशों में दो राष्ट्र के सिद्धांत से ही शांति आ सकती है।’ भारत ने इस दिशा में दोनों देशों से सीधी शांति वार्ता फिर से शुरू करने की अपील की।

इस्राइल हमास के बीच जारी युद्ध पर भारत ने कहा कि इस संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों की जान गई है और गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है, जो बिल्कुल अस्वीकार्य है। कंबोज ने इस्राइल पर 7 अक्‍टूबर को हुए हमले की भी कड़ी निंदा की और कहा कि वह आतंकी हमला चौंकाने वाला था और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए। भारत का रुख आतंकवाद के सभी रूपों के साथ समझौता न करने वाला रहा है। भारत सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करता है। कंबोज ने कहा कि गाजा में हालात बिगड़ने से रोकने के लिए तुरंत मानवीय सहायता पहुंचाई जानी चाहिए।

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