यूरोपीय संघ ने 19 चीनी कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, रूस को युद्ध में हथियार देने का आरोप
नई दिल्ली । यूरोपीय संघ ने चीन पर बड़ा एक्शन लेते हुए 19 चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन कंपनियों पर यूक्रेन में रूस को युद्ध के लिए हथियार सप्लाई करने का आरोप है। यूरोपीय संघ के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित सूची में हांगकांग में स्थित कई कंपनियों के साथ-साथ दो दिग्गज ग्लोबल सैटेलाइट कंपनियां भी शामिल हैं। चीन ने पश्चिमी देशों के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि वह रूस के सैन्य अभियान का समर्थन नहीं कर रहा है।
रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की कड़ी में यूक्रेन में युद्ध में सीधे “रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर का समर्थन” करने के आरोप में 61 नई कंपनियों को सूची में जोड़ा गया है। अब इस सूची में कुल 675 कंपनियां हो गई है। इन कंपनियों पर उन सामानों और तकनीकी चीजों की बिक्री पर कठोर प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनका उपयोग “रूस के डिफेंस और सिक्योरिटी सेक्टर को बढ़ाने” के लिए किया जा सकता है।
अक्टूबर में, एएफपी की एक जांच से पता चला कि रूस की कंपनी वैगनर ने 2022 में दो सैटेलाइट को खरीदने और उनकी तस्वीरों को इस्तेमाल करने के लिए चीनी फर्म बीजिंग युनज़े टेक्नोलॉजी के साथ 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। दो उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले उपग्रह चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के थे, जो एक प्रमुख ग्लोबल सैटेलाइट कंपनी है, जिसे यूरोपीय संघ की प्रतिबंधित सूची में जोड़ा गया है। दूसरी कंपनी हेड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी थी, जो सैटेलाइट इमेज बेचती है और वैगनर समूह को आपूर्ति करने के लिए 2023 में अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में डाल दी गई थी।
भले ही चीन रूस को सीधे हथियार न दे, लेकिन अमेरिका और यूरोप उस पर मास्को के सैन्य उद्योग को टूल्स और उपकरण बेचने का आरोप लगाते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इन दावों को “झूठी सूचना” बताकर खारिज कर दिया है। सोमवार को यूरोपीय संघ की सूची में जोड़ी गई 61 संस्थाओं में से लगभग आधी रूस-आधारित कंपनियाँ हैं। 19 चीनी कंपनियों के अलावा, इसमें तुर्की की नौ, किर्गिस्तान की दो, भारत की एक, कजाकिस्तान की एक और संयुक्त अरब अमीरात की एक कंपनी भी शामिल है।
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