चर्बी से बने ईंधन का कमाल,विमान को हजारों किलोमीटिर उड़ाया
लंदन । वैज्ञानिकों ने ईंधन का विकल्प ढूंढने में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने फैट यानी चर्बी से खास तरह का ईंधन बनाया जिससे विमान हजारों किलोमीटिर उड़ाया है। इससे वैज्ञानिकों को काफी राहत दिखाई दे रही है। बता दें कि चर्बी से बने ईंधन में कार्बन का उत्सर्जन करीब 70 फीसदी तक कम होता है।
इतना ही नहीं इस ईंधन से जरिए इन वैज्ञानिकों ने विमान उड़ाने में भी सफलता हासिल कर ली है। दरअसल जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जीवाश्म ईंजन यानी पेट्रोल-डीजल का विकल्प खोजने में जुटे हुए हैं। इस दिशा में काफी प्रगति भी हुई है। भविष्य में हाईड्रोजन को इसका एक अच्छा विकल्प भी माना जा रहा है। जबकि पूरी तरह से उच्च-वसा एवं कम उत्सर्जन वाले ईंधन से संचालित पहले वाणिज्यिक विमान ने मंगलवार को लंदन से न्यूयार्क की उड़ान भरी।
इस दौरान इसने अटलांटिक महासागर को पार किया। इसे ‘जेट जीरो’ की संज्ञा दी जा रही है। विमानन कंपनी ‘वर्जिन अटलांटिक’ के बोइंग-787 विमान को जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल किए बिना संचालित किया गया। उड़ान के लिए इस्तेमाल विमानन ईंधन अपशिष्ट वसा से बना था।
इस मामले में वर्जिन के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन का कहना है कि जब तक आप कुछ खास नहीं करते, दुनिया हमेशा यह मान कर चलती है कि ऐसा कुछ किया ही नहीं जा सकता। दरअसल ब्रैनसन खुद कॉर्पोरेट और सरकारी अधिकारियों, इंजीनियरों और पत्रकारों सहित अन्य लोगों के साथ विमान में सवार थे। ब्रिटेन के परिवहन विभाग ने उड़ान की योजना बनाने और संचालित करने के लिए 10 लाख पाउंड (12.7 लाख अमेरिकी डॉलर) यानी 1 अरब रुपये से अधिक दिए हैं। विभाग ने हवाई यात्रा को पर्यावरण के अधिक अनुकूल बनाने के लिए परीक्षण को ‘जेट शून्य की दिशा में एक बड़ा कदम’ करार दिया। हालांकि व्यापक रूप से इस तरह के ईंधन उत्पादन में अब भी कई बाधाएं हैं।