रूस के खिलाफ यूक्रेन को शर्तों के साथ मिले हथियार. जेलेंस्की सरेंडर को लाचार!

Russia-Ukraine war updates for April 3, 2022

नई दिल्‍ली । रूस-यूक्रेन जंग में कितनी गोलियां चलीं, कितना बारूद बरसा, कितनी मिसाइलें गरजीं. ये देखना किसी बेईमानी से कम नहीं होगा, क्योंकि अगर जंग आर-पार की हो, कट्टर दुश्मन से हो तो फिर एक ही मकसद होता है और वो है तबाही।

मगर आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि अब यूक्रेन को रूस के खिलाफ जंग में एक-एक गोली का हिसाब देना होगा. हमला कहां किया, क्यों किया? नाटो को ये सब कुछ बताना होगा. जी हां, NATO देशों ने यूक्रेन को शर्तों के साथ हथियार दिए हैं जो अगर पूरी नहीं हुई तो फिर यूक्रेन के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।

पूर्वी यूक्रेन का अवदिवका शहर जो पुतिन के बारूदी ताप से राख हो चुका है. अवदिवका पर रूसी ब्रिगेड का कंट्रोल हो चुका है, लेकिन अवदिवका की तरह डोनेस्क रीजन के एक और इलाके में खतरा मंडरा रहा है. यहा किसी भी वक्त रूस की ओर से विध्वंसक हमला हो सकता है. वो इलाका है पोक्रोवस्क, जो यूक्रेन की सेना का सबसे बड़ा हथियार डिपो है. जल्द ही पोक्रोवस्क में नए हथियारों की खेप आएगी. US और NATO के वेपन पोक्रोवस्क में रखे जाएंगे।

यूक्रेन को मिलेंगे और हथियार

अवदिवका में यूक्रेन की हार ने न सिर्फ जेलेंस्की की टेंशन बढ़ाई बल्कि इसके साथ-साथ ब्रसेल्स टू वॉशिंगटन भी सनसनी मची हुई है. ऐसे में जंग के मैदान में यूक्रेन को मजबूत बनाने के लिए, रूसी जैसी ताकतवर फौज से लड़ने के लिए, पश्चिमी देशों ने हथियारों की भारी खेप कीव सप्लाई करने का ऐलान किया।

NATO देशों ने ऐसा दांव चला

इसके अलावा नाटो के कई और देश है जो यूक्रेन की सैन्य मदद करेंगे. बम गोला-बारूद की खेप डिलीवर करेंगे. ऐसे में रूस को आशंका है कि पश्चिमी देशों से आने वाले हथियार कीव से सीधे पोक्रोवस्क सप्लाई किए जाएंगे. ताकि डोनेस्क में मौजूद रूसी कब्जे वाले इलाके पर यूक्रेनी सेना धावा बोल सके. और इसके साथ-साथ यूक्रेन बॉर्डर से सटे पश्चिमी रूस के इलाकों को दहला सके. लिहाजा रूस ने अवदिवका के बाद पोक्रोवस्क में तबाही मचाने की तैयारी कर ली है. मगर रूस को बारूदी कदम उठाता. उससे पहले NATO देशों ने ऐसा दांव चला है. जिसके बाद जेलेंस्की का माथा ठनका हुआ।

काफी मशक्कत के बाद हथियार देने को तैयार हुए नाटो के देश

लाख मिन्नतों के बाद जेलेंस्की को अमेरिका और नाटो के देश हथियार देने पर राजी हुए. मगर हथियारों की डिलीवरी के साथ-साथ मददगारों की तरफ से जो शर्तें लगायी गई है. वो जेलेंस्की के लिए दो धारी तलवार साबित हो रही है. यानी एक तरफ रूस का हमला जारी है और दूसरी तरफ हथियार होने के बावजूद यूक्रेनी सेना उनका इस्तेमाल बेहिचक नहीं कर सकती. एक-एक गोली. एक-एक मिसाइल, एक-एक बम का हिसाब देना होगा।

follow hindusthan samvad on :