ताइवानी राजदूत की चीन को महासभा से निष्कासित करने की मांग

म्यूनिख। जर्मनी के म्यूनिख में मनाई जा रही विश्व उइगर कांग्रेस की 20वीं वर्षगांठ पर ताइवान चीन के खिलाफ नाराजगी जताई है। ताइवान के राजदूत शीह झाई-वे ने कहा कि चार्टर की शर्तों के अनुरूप चीन संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा होने की काबिलियत नहीं रखता है। चीन में उइगरों, तिब्बतियों, हांगकांग और उसके लोगों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों को देखते हुए उसे बहुत पहले ही संयुक्त राष्ट्र से निष्काषित कर दिया जाना चाहिए था। दूत ने अपने कब्जे वाले क्षेत्रों पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के अत्याचारों का खुलासा किया।

उन्होंने कहा कि उनके कब्जे वाले क्षेत्रों के लोग समान चीन की ओर से पैदा किए गए दुर्भाग्य का सामना कर रहे हैं और इसके लिए विभिन्न देशों को एकजुट होने की जरूरत है। झाई-वे ने अपने बयान में चीन और संयुक्त राष्ट्र की आलोचना की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवता के खिलाफ अत्याचारों जानते हुए भी चीन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हुए कहा, यदि चीन द्वारा उइगुरों, तिब्बतियों, हांगकांग और उसके लोगों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों पर एक साथ बात रखी जाती तो सीपीसी को बहुत पहले संयुक्त राष्ट्र बाहर कर दिया गया होता।

ताइवानी राजदूत ने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय 2 के अनुच्छेद 6 के मुताबिक अगर किसी भी सदस्य देश ने लगातार सिद्धांतों का उल्लंघन किया तो उसे सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा निष्कासित कर दिया जाएगा। अब अगर हम उसी चार्टर पर टिके रहते हैं, जिस पर संयुक्त राष्ट्र को गर्व है तो चीन इसका तब तक सदस्य बनने के काबिल नहीं है, जब तक सीपीपी चीन पर शासन कर रही है।

 

राजदूत ने अपने बयान में सीपीसी से पीड़ित लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया और कहा, हमें चोट पहुंचाने की कोशिश करने वाले दुश्मन से एक-दूसरे की रक्षा करना है। ये वे सार्वभौमिक मूल्य हैं जो हमें एकजुट करते हैं और हमेशा एक-दूसरे के साथ लाते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर से उइगुर, तिब्बती, हांगकांगवासी और ताइवानी एकजुटता दिखा रहे हैं।

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