M.P.High court : आवासीय क्षेत्रों से मोबाइल टावर हटाने के दिए निर्देश


जबलपुर/सिवनी, 15 मार्च। जिले के सिवनी विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लूघरवाडा निवासी श्रीमति एस.ठाकुर ने आवासीय क्षेत्रों से मोबाइल टावर हटाने की मांग जिला कलेक्टर सिवनी से की है।


ग्राम पंचायत लूघरवाडा अग्रसेन नगर, अग्रोहा कालोनी निवासी श्रीमति एस.ठाकुर ने बताया कि उनके मकान के सामने श्रीमति ललिता उर्फ गुड्डी बघेल का मकान है जहां पर खाली प्लाट में टांवर लगाया जा रहा है जिसे हटाने की शिकायत उन्होनें जिले के कलेक्टर डाॅ. राहुल हरिदास फांटिग को 09 फरवरी 21 को व सीएम हेल्पलाइन में की है। बताया कि उनके परिवार में बुर्जग-माता व देवर है जो बीमारी से ग्रसित है। मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडियेशन से इसका प्रभाव पडने की पूर्ण संभावना है। टावर से संबंधित शिकायत ग्राम पंचायत लूघरवाडा के अन्य क्षेत्रवासियों द्वारा भी की गई है। जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गई है।


आवासीय क्षेत्र में टावर हटाने के संबंध में सिवनी तहसीलदार पीयूष दुबे ने सोमवार की शाम को जानकारी दी कि उनके संज्ञान में यह प्रकरण है संबंधित को राजस्व विभाग द्वारा एनओसी जारी हुई है या नही यह दिखवाते है। शिकायत का निरारकण शीघ्र किया जायेगा।


म.प्र हाईकोर्ट ने आवासीय क्षेत्रों से टावर हटाने के दिए निर्देश
बीते दिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर ने एक जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि रहवासी इलाके से मोबाइल टावर हटाने की शिकायत पर 15 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता ललिता नगर जन कल्याण समिति, कोलार की ओर से अधिवक्ता एसपी मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि (आवासीय क्षेत्रों )घनी आबादी वाले क्षेत्र में मोबाइल टावर की वजह से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह बात कई शोधों में सामने आ चुकी है। मोबाइल टावर से निकलने वाले घातक किरणें अनिद्रा, त्वचा रोग, जोड़ें में दर्द सहित अन्य परेशानियों की वजह बनती हैं।
इसीलिए रहवासी इलाके में मोबाइल टावर लगाए जाने का विरोध किया गया है। इस सिलसिले में पूर्व में जिम्मेदार अमलों को शिकायतें सौंपी गईं, लेकिन ठोस कार्रवाई नदारद रही। इसीलिए व्यापक जनहित में हाई कोर्ट आना पड़ा। हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि जनहित याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर नियमानुसार 15 दिन के भीतर ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।


संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों का उल्लंघन- हाईकोर्ट
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 03 मार्च 2021 को पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वे अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावरों को लगाने की अनुमति न दें।(अंतरिम उपाय)

जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश इस तथ्य के मद्देनजर पारित किया है कि बेतरतीब ढंग से टावरों लगाने से लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरा हो सकता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा।(इनपुट-लाइवलाॅ)

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