सहकार भारती का मुख्य उद्देश्य जनता की आर्थिक सेवा द्वारा समाज का आर्थिक उत्थान करने वाली सहकारिता को शुद्ध करना एवं मजबूत बनाना है-प्रदेश अध्यक्ष
सिवनी, 27 नवंबर। सहकार भारती, सहकार के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक आनुसांगिक संगठन है। यह पंजीकृत अशासकीय संस्था है। सहकारिता के आंदोलन को जनकल्याणकारी स्वरूप देकर और अधिक मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से 11 जनवरी 1979 को मुम्बई (महाराष्ट्र) में सहकार भारती नामक सामाजिक संस्था की स्थापना हुई।
इसके संस्थापक अध्यक्ष स्व. माधवराव गोडबोले थे, जिन्होने सन् 1935 में सांगली में जनता सहकारी बैंक की शुरुआत की थी। उक्त उद्गार सहकार भारती के जिला सम्मेलन मानस भवन नगर पालिका में राष्ट्रीय मंत्री अशोक तेकाम ने व्यक्त किये।
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह ने कहा कि अभी सहकार भारती का 15 कार्यकर्ताओं का एक केन्द्रीय दल है, जिसमें 3 पूर्ण कालिक कार्यकर्ता हैं, किन्तु सभी 15 कार्यकर्ता देश में प्रवास करते हैं। सहकार भारती का मुख्य उद्देश्य जनता की आर्थिक सेवा द्वारा समाज का आर्थिक उत्थान करने वाली सहकारिता को शुद्ध करना एवं मजबूत बनाना है- जैसे सहकारिता में आए हुए दोषों को दूर करना, सहकारी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित एवं संस्कारित करना, सहकारिता का जनसाधारण में प्रचार व प्रसार करना, परिसंवाद, परिचर्चा, सम्मेलन, प्रशिक्षण वर्ग इत्यादि कार्यक्रमों द्वारा जन प्रबोधन करना, सहकारिता का साहित्य छापना, सहकारिता की समस्याओं को सुलझाने हेतु मार्गदर्शन करना, आदर्श सहकारी संस्थाएं आरम्भ करना, चलाना एवं बढ़ाना, समाजसेवी आदर्श सहकारिता-कार्यकर्ताओं को सम्मानित व संगठित करना तथा सहकारिता को समाजोपयोगी बनाना इत्यादि सहकार भारती के अन्य उद्देश्य एवं कार्य हैं।
आरएसएस के सहसंगठन मंत्री कृष्णकांत द्विवेदी ने कहा कि भारत में सहकारिता 1894 से आरम्भ हुई, ऐसा कहा जाता है। कारण तब वडोदरा में प्रथम सहकारी संस्था गठित हुई। भारत के स्वाधीन होने के बाद भारत की सरकार ने सहकारिता को एक जनोपयोगी कार्य समझकर इसे बढ़ाने में पर्याप्त रुचि ली। आर्थिक मदद देकर इसे खूब प्रोत्साहित किया। परिणामस्वरूप सहकारिता का प्रचार गांव-गांव तक हो गया। आज देश में साढ़े छह लाख सहकारी संस्थाएं हैं, जिनसे इक्कीस करोड़ लोग जुड़े हैं। विश्व की सहकारिता का एक चौथाई भाग भारत में विभिन्न सहकारी संस्थाओं से जुड़ा हुआ है। सहकारिता की विभिन्न विधाएं भी देश में आरम्भ हो गईं। साख, गृह निर्माण, उपभोक्ता भंडार, यातायात, मुद्रण, मछुआरे, कर्मचारी, जुलाहे, क्रय-विक्रय, चीनी उद्योग, वस्त्र-उद्योग, बैंक इत्यादि सभी क्षेत्रों में सहकारी संस्थाएं कार्यरत हैं।
सहकार भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश उपाध्याय ने कहा कि ऐसे समय में संघ के स्वयंसेवक जो सहकारिता के क्षेत्र में किसी न किसी रूप में कार्यरत थे, उनका चिंतित होना स्वाभाविक था। ग्रेवाल समिति ने अपनी रपट में कहा था कि भारत में सहकारिता आंदोलन पूर्णत: असफल हो गया है। रपट में आगे कहा गया कि इस आंदोलन को सफल जरूर बनाना चाहिए, क्योंकि सहकारिता द्वारा ही सामान्य व्यक्ति का आर्थिक उत्थान संभव है। इस अवसर पर विभाग प्रचारक राघवेद्रजी उपस्थित रहे। द्वितीय सत्र में जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे एवं विधायक दिनेश राय उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान संवाद
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