Seoni: प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने के लिए प्रशिक्षण से लाभान्वित हो रहे कृषक
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सिवनी, 28 जुलाई। जिले में प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने और बढ़ावा देने के लिये जिले के समस्त 08 विकासखण्डों में श्रृंखलाबद्ध तरीके से किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा तैयार प्राकृतिक खेती पोर्टल पर पंजीकृत कृषकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है । जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग एवं उप संचालक सह परियोजना संचालक आत्मा के मोरिस नाथ ने गुरूवार को जानकारी दी कि गुरूवार को जिले के घंसौर विकासखण्ड मे प्राकृतिक खेती हेतु प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्राकृतिक खेती के लिये आवश्यक बीजामृत, जीवांमृत, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र आदि के निमार्ण का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी विकासखण्ड स्तर के मैदानी अमले द्वारा कृषकों के मध्य दिया गया। 1 एकड़ हेतु जीवांमृत बनाने के लिये 10 कि.ग्रा. गाय के गोबर की जरुरत पड़ती है, जिसमे लगभग तीस लाख करोड जीवाश्म पाये जाते है। 200 लीटर पानी मे देसी गाय का 10 किलो ताजा गोबर, 10 ली. पुराना गौमुत्र, 1.5 किलो गूड और 1 किलो बेसन की जरुरत पड़ती है।
बताया गया कि किसानों को गोबर, गौ-मूत्र, गुड़, बेसन, चूना, सजीव मिट्टी के साथ-साथ नीम, करंज, धतुरा, सीताफल, पपीता, अरण्डी, अमरूद इत्यादि पत्तीयों के संयोजन से जीवामृत, बीजांमृत, घनजीवांमृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र का सजीव ढंग से निर्माण करने की विधि बताई गई।
इस प्रशिक्षण का आयोजन विकासखण्डों में ब्लांक टैक्नालाजी मैनेजर एवं कृषिगत अमले द्वारा किया जा रहा है।
हिन्दुस्थान संवाद