Right to Information Act, 2005 : सूचना अधिकार में अधिक आवेदन लगाना कोई जुर्म नहीं: सूचना आयुक्त राहुल सिंह
नागदा/उज्जैन, 06 मार्च (हि.स.)। सूचना अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत कार्यकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है कि आवेदन की संख्या को आधार बताकर आवेदक के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की जासकती। यह खुलासा मप्र के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रविवार को सूचना अधिकार के 89 वें राष्ट्रीय वेबिनार में किया।
वेबिनार में देशभर के विभिन्न प्रांतों के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं अधिवक्ताओं ने भाग लिया। यह कार्यक्रम रीवा के जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्धिवेदी के संयोजन में हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता नागदा ने यह सवाल उठाया कि इंदौर कलेक्टर ने एक कार्यकर्ता पर सूचना अधिकार आवेदनों की संख्या के आधार पर ब्लेकमैलिंग का आरोप लगाकर उसके खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस सवाल पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बड़ा खुलासा किया कि सूचना अधिकार में कोई भी व्यकित कितने भी आवेदन लगा सकता है। इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। साथ ही आवेदनों की संख्या के आधार पर किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
सेमिनार में यह भी मसला उठा कि कुछ स्थानों पर सूचना अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत कार्यकर्ताओं की आवेदनों की संख्या पता लगाने के लिए कुछ भष्टाचारी एवं सूचना अधिकार से घबराकर कुछ लोग आवेेदन लगाकर यह पता लगाने के प्रयास में हैकि आरटीआई कार्यकर्ता ने कितने आवेदन सूचना अधिकार के लगाए हैं। इस पर सूचना आयुक्त ने कहा कि इस प्रकार की जानकारी हासिल करने से आवेदक को अनुचित करार नहीं दिया जा सकता है। सूचना अधिकार में आवेदन लगाना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है।
डाक से आवेदन भेजने का सुझाव
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा, आरटीआई के क्षेत्र में अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। कुछ लोगों पर विवाद आदि के आरोप लग रहे हैं, लेकिन यदि कोई आवेदक सीधे कार्यालय जाने के बजाय पोस्ट आफिस के माध्यम से पंजीकृत डाक से आवेदन को प्रेषित करेंगे तो और बेहतर होगा। जिससे किसी प्रकार के विवाद और आरोप नहीं लगेंगे। उन्होंने इस व्यवस्था के तहत कार्य करने का सुझाव दिया।
धारा 4 के निर्णय पर चर्चा
वेबिनार में शिवानंद द्विवेदी की एक शिकायत पर सूचना आयुक्त के उस महत्वपूर्ण निर्णय पर भी चर्चा हुई, जिसमें राहुल सिंह ने समस्त जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत समस्त शासकीय कार्यालयों में 17 बिंदुओं पर जानकारी को सार्वजनिक करें।
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी, मप्र के पूर्व सूचना आयुक्त एवं वरिष्ट पत्रकार आत्मदीप उतरप्रदेश राज्य के सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती, माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु ने भी वेबिनार को संबोधित किया। बतौर सहयोगी पत्रिका समूह के वरिष्ट पत्रकार मृगेंद्रसिंह जबलपूर हाईकोर्ट अधिवक्ता नित्यांनदं मिश्रा, छतीसगढ के देवेंद्र अग्रवाल रहे। कार्यक्रम में राजस्थान, मप्र झारखंड, उप्र आदि के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने प्रश्र पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। साथ सूचना अधिकार से जुड़ी समस्याओं को समाधान किया।
इनपुट- हिन्दुस्थान समाचार/ कैलाश सनोलिया
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