होली के रंग को महंगाई ने किया बदरंगा
विदिशा, 16 मार्च (हि.स.)। होली पर इस साल महंगाई की मार है। रंगों के त्यौहार में गुजिया से लेकर रंग-गुलाल तक सब कुछ महंगा हो गया है। पिछले एक माह में बढ़ी इस महंगाई ने रंगों के इस पर्व को फीका और बदरंगा कर दिया है। रंग-गुलाल, पिचकारी पर जहां 25 फीसद तक दाम बढ़े हैं, वहीं मावा, दाल और तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। जिससे इस त्यौहार पर पकवान घर का बजट गड़बड़ा गया है।
कोरोना के चलते पिछले दो साल से लोग होली के त्यौहार को सांकेतिक रूप से ही मनाते आ रहे थे। इस साल संक्रमण दर कम होते ही सरकार ने सभी तरह के प्रतिबंध हटा दिए तो लोगों ने होली को दो गुना अधिक उत्साह से मनाने की तैयारी की है, लेकिन उनकी तैयारी पर महंगाई पानी फेरती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि दो दिन बाद शुक्रवार को धुरेड़ी है, लेकिन अभी तक शहर के मुख्य बाजार में पिछले साल की अपेक्षा 50 फीसद ही दुकान लगी हैं।
व्यापारियों का कहना है कि रंग-गुलाल और पिचकारी सभी के दामों में खासी वृद्धि हो गई है। अचानक रंगों पर 20 से 25 रुपये प्रति किलो का उछाल आया है। पिचकारी के दाम डेढ़ से दो गुना तक बढ़ गए हैं। उन्हें इस बात का डर रहा कि महंगाई के कारण यदि बिक्री नहीं हुई तो उन्हें साल भर तक सामग्री संभालकर रखना पड़ेगी। इसी के चलते ज्यादातर व्यापारियों ने इस साल दुकान नहीं लगाईं।
गृहणी प्रियंका कुशवाह ने बताया कि पकवान के सामान में उपयोग होने वाले तेल सहित अन्य सामग्री महंगी हो गई है। पहले जहां घर में बहुत सारा सामान त्यौहार पर खाने का बनता था। अब उसमें कटौती कर दी है। कुल मिलाकर त्यौहार पर महंगाई की मार पड़ी है। रूकमणी और उमा ने बताया कि अब तो रंग और पिचकारी इतनी महंगी हो गई है, उन्हें खरीदने की बिलकुल इच्छा नहीं है उपर से कोरोना का डर अभी भी दिखाई दे रहा है क्योंकि सरकार ने प्रतिबंध हटा दिये है लेकिन ऐसा कहीं भी ऐसा आदेश जारी नहीं किया कि मास्क का उपयोग नहीं किया जाये ऐसा लगता है कि सरकार और उपर बैठे वरिष्ठ अधिकारी कुछ छिपा रहे हैं।
दुकानदार दीपेश कुशवाह ने बताया कि गुलाब भी बहुत महंगा हो गया है। जो 80 रुपये किलो आता था, वो ही अब 120 प्रति किलो मिला है। रंग के दामों में भी 20 फीसद की बढोतरी हुई है। पिछले साल जो पिचकारी वह 150 रुपये में खरीदकर लाए थेए इस साल वही पिचकारी उन्हें 180 रुपये में मिली है। यानि सीधे 30 रुपये का इजाफा हुआ है।
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश कुमार मीणा
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