यदि अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलना हो तो करें यह अचूकउपाय—गौशाला में जाकर दूर कर सकते हैंअपनी कुंडली के दोष

कभी-कभी न चाहते हुएभी जीवन में बहुत संघर्षकरना पड़ता है। भाग्य बिल्कुल भी साथनहीं देता साथ ही दुर्भाग्य निरन्तरपीछा करता रहता है। दुर्भाग्य से बचने के लिएया दुर्भाग्य नाश के लिए करें यहाँ बताए गये उपाय करें। इन्हेंपूर्ण आस्था के साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य मेंवृद्धि होती है। बस आप इन उपायों को करते रहेंअगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष ,पितृ दोष , मंगल दोष ,ऋण दोष आदि है तो आप गौ शाला में जायेऔर गाय की सेवा करे तो शत प्रतिशत आप के यहदोष कट जायेंगे में आपको दावे के साथ कहती हूँ !सभी शास्त्रों में गाय को पूजनीय औरपवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय केशरीर में 33 करोड़ देवी-देवता विद्यमानहोते हैं। अत: जब भी गाय दिखाई देतो उसकी पीठ पर हाथ फेरना चाहिए।गाय को सहलाने से वह प्रसन्न होती है औरहमारे इस प्रसन्नता से हमारे कई दोष दूर होते हैं। साथही इससे हमारी कई असाध्यबीमारियां भी दूरहो जाती हैं। ऐसा कम से कम 12 माह तक करकेदेखना चाहिए।

गाय का ज्योतिषीय महत्वः-

1. नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गायकी विशेष भूमिका होती है कहा तो यहभी जाता है कि गोदान सेही सभी अरिष्ट कट जाते हैं।शनि की दशा, अंतरदशा, और साढेसाती केसमय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त करदेता है।

2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गायकी सेवा और निर्धन ब्राम्हण को गोदान मंगल केप्रभाव को क्षीण करता है।

3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतुगौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्टहोती है।4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि सेलक्ष्मी जी प्रसन्नहोती हैं और भक्तों को सुखमय होने का वरदानभी देती हैं।

5. गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदानकरती है।हिन्दू धर्म में गाय को देवी माँ का दर्ज़ा दिया जाता है

ऐसी मान्यता है की गाय मे ३३ करोड़देवी देवताओं का निवास है। इसलिए समाज केप्रत्येक व्यक्ति को गायकी सेवा करनी चाहिए। गाय सेवा करनेवाला व्यक्ति पुण्य का भागीदार बनता है। एक मात्रगऊ सेवा करने से ही मन, वाणी, कर्मऔर शरीर की पवित्रता संभव है। औरतो और गऊ सेवा से व्यक्ति अपने सम्पूर्ण कुलकी रक्षा कर सकता है, सम्पूर्णसृष्टि की सुरक्षा केवलगौमाता की रक्षा से ही संभव है।समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने समय एवं सामर्थ्य केअनुसार गऊओ की सेवा करनी चाहिए।इससे जहां व्यक्ति एवं समाजनिरोगी होगा वहीं मानसिक रूप सेभी संतुष्ट भी बनेगा।गाय के पूरे शरीर को ही पवित्रमाना गया है लेकिन गाय का मूत्र सर्वाधिक पवित्र माना जाता है।वैसे भी गौ माता अपने भारत देशकी सांस्कृतिक और आर्थिक बुनियाद है। भारत मेंजितने भी अवतार हुए हैं उन सबने गऊसेवा की है और अपने प्रिय ठाकुरजी के गाय प्रेम को भला कौननहीं जानता। उन्होंने तो गौऒ की विशेषरूप से सेवा की है।

ठाकुरजी तो गौ माता को कामधेनु की संज्ञा देतेहै। गौ रक्षा का वास्तविक अर्थ है समस्तसृष्टि की रक्षा करना। गौ माता पूरे विश्वकी सेवा करती है। केवल जिंदा रहनेतक ही नहीं बल्कि मरने के बादभी वह हमारे काम में आती है।अगर निस्वार्थ भाव से सेवा का उदाहरणकहीं देखने को मिलता है तो उसका श्रेय सिर्फगौ माता को ही जाता है। अगर एक चम्मच गौघृतको अग्नि में डाला जाए तो उससे एक टन ऑक्सीजनका उत्पादन कर सकते हैं। और तो और हम सबने सुन रखा हैकी हवन मैं आहुतिय देने से देव्ताओ को उनका भोगमिलता है, पैर कैसे कभी भोग मिलता है उनको भोगतब मिलता है जब हम लोग हवन मैं गौघृत को डाले तबसभी ९ ग्रहों को उनका भोग प्राप्त होता है अन्यकिसी से नहीं भोग मिलता। गौघृत सेआहुति देने से सूर्यकी किरणों को ऊर्जा मिलती है। वातावरणशुद्ध होता है, यही ऊर्जा जब वरुण देवको मिलती है तो देश मैं वर्षा होती है।जब समय से वर्षा हो तो उससे ही अन्न,धान ,पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है।जैसे हम सबने सुन रखा है की गौ माता के अंडर३३ करोड़ देवी देव्ताऊ का निवास होता है तो जबहम लोग उसके गोबर से भूमि का लेप करते है तो उसके अंडर३३ करोड़ देवी देव्ताऊ की उर्जा आजाती है और वो पूजास्थल आध्यात्मिकउर्जा का सर्वोच्च स्थल बन जाता है। कुल मिलाकर देखा जाएतो गो माता का हम सबके जीवन में बहुत महत्वहै। गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है। जिसकिसी को अपने शरीर के अंडरउर्जा का स्थायित्व चाहिए वो गौ माता का दूधपीना प्रारंभ केर दे। मेरी प्रिय ठाकुरजी से यही प्राथना हैकी हर व्यक्ति के घर में गौ माता का पालन हो । सबलोगों को गोसेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हो । जो परिवारया व्यक्ति गौ माता का पालन या सेवा नहीं कर सकतेसमयाभाव के कारण वे नित्य प्रति गोमाता का दर्शन अव्य्श्य करें।मान्यता है गाय माता अपने बच्चे को दूध पिलाती दिखजाए तो उनका दर्शन बहुत शुभ प्रभाव देता है। गाय माता का दूधही नहीं बल्कि गोबर और गोमूत्रभी बहुत पवित्र है। जरा सोचें वह स्वयंकितनी पवित्र होगी। उनकेशरीर का स्पर्श करनेवाली हवा भी पवित्रहोती है। जहां गाय बैठती है,वहां की भूमि पवित्र होती है । गाय केचरणों की धूली भी पवित्रहोती है।

क्या आप जानते हैं गो सेवा करने केक्या-क्या लाभ हैं-

1. भगवत्प्रेम की प्राप्ति होती है।2. जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है।3. संतोष मिलता है।4. धन में वृद्धि होती है।5. पुण्य की प्राप्ति होती है।6. संतान की प्राप्ति होती है।7. दु:ख दर्द दूर होते हैं।8. ताप-संताप दूर होते हैं।9. हृदय प्रफुलिलत होता है।10. मन को शान्ति मिलती है।11. स्वास्थ्य लाभ होता है।12. तृप्ति का अनुभव होता है।13. मनुष्य जनम सफल होता है।14. परिवार को सुख मिलता है।15. ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं।16. अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।17. गाय सुखी होती है।18. ईश्वर व संतों की प्रसन्नता प्राप्तहोती है।19. गाय की हत्या रुकती है।20. राष्ट्र सच्ची प्रगति करता है।भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही गोधनको मुख्य धन मानते थे, और सभी प्रकार सेगौ रक्षा और गौ सेवा, गौ पालन भी करते थे। शास्त्रों,वेदों, आर्ष ग्रथों में गौरक्षा, गौ महिमा, गौपालन आदि के प्रसंगभी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायण, महाभारत,भगवतगीता में भी गायका किसी न किसी रूप में उल्लेखमिलता है। गाय का जहाँ धार्मिक आध्यात्मिक महत्व हैवहीं कभी प्राचीन काल मेंभारतवर्ष में गोधन एक परिवार, समाज के महत्वपूर्ण धनों में सेएक है। आज के दौर में गायों को पालने और खिलाने पिलानेकी परंपरा में लगातार कमी आरही है। कभी हमारा देश पशुपालन मेंअग्रणी रहा है।देशवासियों की काफी जरूरतों को यही गौधनही पूरा किया करता था। गाय से बछड़ा, बछड़ा से बैल,बैल से खेती की जरूरतेंपूरी होती हैं। कृषि के लिए गाय का गोबरआज भी वरदान माना गया है। फिरभी गौ पालन, गौ संरक्षण आदि महत्वपूर्णक्यों नहीं है? यह एक विचारणीयप्रश्न है।ं।

गाय का आध्यात्मिक महत्वः-

गाय का विश्व स्तर पर आध्यात्मिक महत्व है, ”गावो विश्वस्यमातरः”। नवग्रहों सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, बुध, बृहस्पति,शुक्र, शनि, केतु के साथ साथ वरूण, वायु आदि देवताओं को यज्ञमें दी हुई प्रत्येक आहुति गाय केघी से देने की परंपरा है, जिससे सूर्यकी किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है।यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारणबनती है, और वर्षा से ही अन्न,पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है। हिंदूधर्म में जितने धार्मिक कार्य, धार्मिक संस्कार होते हैं जैसेनामकरण, गर्भाधान, जन्म आदि सभी में गाय का दूध,गोबर, घी, आदि का ही प्रयोगकिया जाता है जहां विवाह संस्कार आदि होते हैंवहां भी गोबर के लेप से शुद्धिकरणकी क्रिया करते हैं। विवाह के समय गोदानका भी बहुत महत्व माना गया है। जनना शौच औरमरणाशौच मिटाने के लिए भी गाय का गोबर और गौमूत्रका प्रयोग किया जाता है। इसकी धार्मिक वजह यहभी है कि गाय के गोबर मेंलक्ष्मी जी का और गोमूत्र मेंगंगा जी का निवास है।वैतरणी पार करने के लिए गोदानकी प्रथा आज भी हमारे समाज में मौजूदहै, श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूधकी खीर का प्रयोग किया जाता हैक्योंकि इसी खीर सेपितरों की ज्यादा सेज्यादा तृप्ति होती है। पितर, देवता, मनुष्यआदि सभी को शारीरिक बल गाय के दूधऔर घी से ही मिलता है। गाय केशारीरिक अंगों में सभी देवताओं का निवासमाना जाता है। गाय की छाया भी बेहदशुभ प्रद मानी गयी है। गाय के दर्शनमात्र सेही यात्रा की सफलता स्वतः सिद्धहो जाती है। दूध पिलाती गाय का दर्शनतो बेहद शुभ माना जाता है।

श्री अवनीश सोनी
ज्योतिष एवम वास्तु शास्त्री
जिला सिवनी (म.प्र.) मो. 7869955008

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