कण-कण में विज्ञान है-बारेश्बा
विज्ञान दिवस पर नवाचार पर हुई चर्चा
सिवनी, 25 फरवरी। सदियों से विज्ञान वरदान भी रहा है और अभिशाप भी रहा है लेकिन यह भी सास्वत सत्य है कि भले ही हम कहते है कि कण कण में भगवान है लेकिन यह बात भी विज्ञान की दृष्टि से उचित है कि कण कण में विज्ञान है। हमारी दृष्टि जिस भी क्षेत्र में दृष्टिपात होती है तो हमें सभी दिशाओं में विज्ञान नजर आता है। विज्ञान का अस्तित्व तभी तक संभव है जब हम युवा पीढ़ी एवं युवाओं को नये आविष्कार के लिये प्रेरित करेंगे। और इसी बात को वेंकट रमन जो कि महान वैज्ञानिक के रूप में जाने जाते है। उनके जन्मदिन को जन्मदिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसी उद्देश्य से नेताजी सुभाष चंद्र बोस हॉयर सेकेंडरी शाला में भी मनाया जाना है। जिसको लेकर प्राचार्य प्रेमनारायण बारेश्बा ने संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जो कि एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने युवाओं को देश के लिये नई सोच तथा नवाचार के अंतर्गत वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिये प्रेरित किया। और आज जिस तरह से वैज्ञानिकों के कारण कोरोनाकाल में सीमित समय में दवा खोजना तथा अपने देश के साथ-साथ विदेशों को भी भेजा जाना। यह सब हमारे वैज्ञानिकों की देन है।
आज की युवा पीढ़ी जो कि नये सोच नया आयाम के साथ देश का विकास करना चाहती है अगर उन्हें सही मार्गदर्शन मिलता है तो निश्चित ही यह देश अपनी प्रगति के माध्यम से अपने सौपानों को छूयेगा।
हिन्दुस्थान संवाद