कर्नाटक भाजपा में बगावत के सुर हावी; येदियुरप्पा के बेटे के खिलाफ खोला मोर्चा

Lok Sabha Election: अमित शाह ने ईश्वरप्पा से उम्मीदवारी वापस लेने को कहा,  बागी भाजपा नेता इरादा बदलने के पक्ष में नहीं - Lok Sabha Election Amit Shah  asked Eshwarappa to ...

बेंगलुरु । लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक भाजपा में बगावत के सुर हावी होते हुए दिखाई दे रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने गुरुवार को दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे मुलाकात नहीं की। आखिर यह मुलाकात क्यों नहीं हुई? इसके बारे में भी ईश्वरप्पा ने बात की।

बगावती तेवर दिखाते हुए ईश्वरप्पा ने शिवमोगा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। यहां से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र को चुनावी मैदान में उतारा है।

ईश्वरप्पा ने क्या कुछ कहा?

ईश्वरप्पा ने दावा किया कि अमित शाह ने उनसे मुलाकात नहीं की, क्योंकि उनके द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। भाजपा नेता ने कहा कि वह दिल्ली गए, क्योंकि अमित शाह ने उन्हें बुलाया था, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी।

शिवमोगा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे ईश्वरप्पा ने दावा किया,

मैं दिल्ला गया, क्योंकि मुझे बुलाया गया था। अगर मैं वहां नहीं जाता तो वे मुझे घमंडी कहते। मैं अमित शाह से नहीं मिल सका। मुझे लगता है कि मुलाकात इसलिए नहीं हुई, क्योंकि मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे थे, जिनका जवाब देना उनके लिए मुश्किल था।

ईश्वरप्पा ने सफाई देते हुए आरोप लगाया कि अमित शाह ने मुलाकात नहीं होने दी। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि मैं उनके कार्यालय गया जहां मुझसे कहा गया कि मैं उनसे न मिलूं। यह मेरे लिए अच्छा है। अगर उन्होंने अन्याय की कहानी सुनाने के बाद भी मुझे हटने के लिए कहा होता, तो मैं क्या करता?

‘येदियुरप्पा की पारिवारिक राजनीति हावी’

75 वर्षीय नेता ने कहा कि अमित शाह ने सोचा होगा कि वह जो कुछ भी कर रहे हैं वह उचित है, क्योंकि वह न्याय के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मुझे सिर्फ दिल्ली बुलाया था और मुलाकात नहीं की। इसके अलावा, ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया। कर्नाटक में कांग्रेस की संस्कृति भाजपा में आ गई है, जहां येदियुरप्पा की पारिवारिक राजनीति हावी है।

ईश्वरप्पा के करीबी सूत्रों के मुताबिक, वह हावेरी सीट से अपने बेटे केई कांतेश के लिए टिकट चाहते थे, जो नहीं मिला। ऐसे में परेशान होकर उन्होंने इसके लिए येदियुरप्पा को जिम्मेदार ठहराया और राघवेंद्र के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया।

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