‘जजों को कोसना कुछ लोगों का पसंदीदा आदत बन गई’, जानिए हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

 

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला, 50 प्रतिशत से  ज्यादा आरक्षण को बताया असंवैधानिक - Chhattisgarh High Court gave an  important decision said more ...

नई दिल्‍ली । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नेटिजन्स द्वारा जजों और वकीलों पर की जा रही अपमानजनक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हाई कोर्ट ने कहा कि जजों को कोसना कुछ लोगों की आदत बन गई है। बता दें, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में मामलों की लाइव-स्ट्रीमिंग के माध्यम से कोर्ट की कार्यवाही तक सार्वजनिक पहुंच बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।

जजों को कोसना कुछ लोगों का पसंदीदा आदत

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा मालूम होता है कि जजों को कोसना कुछ लोगों का पसंदीदा आदत बन गई है। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया तो एक्शन लिया जाएगा।

एक स्वतंत्र न्यायपालिका सर्वोपरि

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा गया कि बिना किसी डर और पक्षपात के न्याय देने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका सर्वोपरि है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा मालूम देता है कि जजों और वकीलों को कोसना और उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग करना कुछ लोगों का पसंदीदा शगल बन गया है। ये बयान अदालतों के अधिकार को बदनाम करने और कम करने वाले हैं और लोकतंत्र के कामकाज के लिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।

अदालती कार्यवाही में बाधा डालने वालों पर होगी कार्रवाई

कोर्ट ने साफ किया कि न्य़ायालय की निष्पक्ष और संयमित आलोचना, भले ही कड़ी हो, कार्रवाई योग्य नहीं हो सकती है। हालांकि, अदालत ने चेतावनी दी कि अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करके और अदालती कार्यवाही में बाधा डालकर लिमिट पार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पीठ ने आगे कहा कि न्यायालय की निष्पक्ष और संयमित आलोचना, भले ही कड़ी हो, कार्रवाई योग्य नहीं हो सकती है, लेकिन अनुचित उद्देश्यों को जिम्मेदार ठहराना या न्यायाधीशों या न्यायालयों को घृणा और अवमानना ​​में लाना या न्यायालयों के कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाधा डालना गंभीर अवमानना है, जिसके लिए नोटिस दिया जाना चाहिए।

न्यायपालिका लोकतंत्र की आधारशिला

कोर्ट ने आगे कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र की आधारशिला है और यदि लोग अदालत द्वारा दिए गए न्याय में विश्वास खो देते हैं, तो संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा जाएगी।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी उस दौरान कीं, जब कोर्ट बाल हिरासत केस को लेकर सुनवाई कर रहा था। जिसकी कार्यवाही छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम की गई थी। जिसके बाद लोगों ने कई तरह टिप्पणियां की थीं।

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