गर्मी के मौसम में लू – तापघात से अपना बचाव करे- डॉ.के.सी.मेशराम
गर्मी के मौसम में लू-तापघात से अपना बचाव करे- डॉ.के.सी.मेशराम
सिवनी, 09 अप्रैल । कोविड महामारी एवं मौसम परिवर्तन के कारण गर्मी के मौसम में अधिक तापमान के कारण लू (हीट वेव) लगने जैसी बीमारियों की संख्या में वृद्धि परिलक्षित हो रही है। जिसका स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम हो सकता है। इस हेतु कोरोना से बचाव के साथ-साथ जन सामान्य को गर्मी से होने वाली बीमारियों के दुष्प्रभावों से बचने के लिये आवश्यक सावधानियां रखनी आवश्यक है। उक्ताशय की सलाह शुक्रवार को जिलेवासियों को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.शी. मेसराम ने दी है।
डाॅ.के.सी.मेश्राम ने बताया कि जिलेवासी शरीर को पानी की कमी से बचायें, पर्याप्त मात्रा में पानी,ओ.आर.एस. पियें। घर में बने पेय जैसे- नींबू-पानी, छाछ-मठा- लस्सी, फलों का रस आदि नमक डालकर सेवन करें, घर से बाहर निकलते समय एवं यात्रा के लिये पानी साथ रखें, ऐसे फल व सब्जियों का सेवन करें जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है जैसे- तरबूज, खरबूज, संतरा, अंगूर, ककड़ी आदि। शरीर को ढांक कर रखें। धूप से बचने के लिए सिर ढांक कर रखें छाता टोपी, हैट, गमछा, टॉवेल या अन्य प्रकार से सिर को कवर करें। बाहर जाते समय जूते-चप्पल सैंडल पहनें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि सतर्क रहे, स्थानीय मौसम की जानकारी प्राप्त करने के लिए रेडियो सुनें, टीवी देखे, समाचार-पत्र पढ़े या भारत मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाईट से लेटेस्ट जानकारी प्राप्त करें। तेज धूप के समय जहां तक संभव हो, घर में ही रहे। कमरे ठंडे एवं हवादार हों। सीधी धूप एवं हीट वेव से बचाव के लिए दिन में पर्दे डाल कर रखें, विशेषकर घर के उन स्थानों पर जहां धूप आती है। शाम एवं रात को ठंडी हवा आने के लिए पर्दे खोल दें। बाहर जाना आवश्यक न होने पर धूप के समय बाहर निकलने से बचें। दोपहर की जगह सुबह एवं शाम को बाहर निकलें, जब वातावरण अपेक्षाकृत ठंडा हो। कोई भी व्यक्ति किसी भी समय लू, तापघात से ग्रसित हो सकता है, किंतु अतिसंवेदन शील लोगो जैसे वृद्ध, शिशु एवं छोटे बच्चें, गर्भवती महिलाएं, 65 वर्ष या अधिक आयु वाले व्यक्ति, बाहर काम करने वाला वर्ग, मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति। अन्य शारीरिक बीमारियां जैसे- हृदय रोग या बी.पी. से ग्रस्त व्यक्तियों को लू, तापघात ज्यादा प्रभावित करता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने लू से बचने हेतु सांवधानियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बुजुर्ग या बीमार जो अकेले रहते हो, उनके स्वास्थ्य की निगरानी प्रतिदिन की जानी चाहिये, घर को ठंडा रखने का प्रयास करें। पर्दे, ब्लाइंडस या शटर का उपयोग करें , रात को खिड़कियां खुली रखें। निचली मंजिल पर रहने का प्रयास करें। गीले कपड़े से शरीर का तापमान कम करें। ठंडे पानी से स्नान करें।
स्वास्थ्य खराब महसूस होने पर- यदि कमजोरी, चक्कर आना, घबराहट या तीव्र प्यास के साथ सिरदर्द हो तो चिकित्सा सहायता प्राप्त करें तथा तत्काल ठंडी जगह पर जायें एवं शरीर का तापमान मापें। पानी या अन्य पेय पिये तथा शरीर का पुनर्जलीकरण करें। मांशपेशियों में दर्द या ऐंठन (विशेषतः पैर हाथ या पेट की मांसपेशियों में ऐठन) होने पर अथवा गर्मी में अधिक समय तक कसरत करने के बाद होने पर तत्काल ठंडे स्थान पर आराम करे। ओ.आर.एस. का सेवन करें। हीट क्रेम्प 01 घंटे से अधिक समय तक रहने पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
डाॅ.मेश्राम ने कर्मचारियों एवं कामगारो के लिए सलाह दी है कि कार्य के दौरान कार्यस्थल पर ठंडे पानी के पीने की व्यवस्था रहे। जलीयकरण बनाये रखने के लिये प्रत्येक 20 मिनट में या अधिक बार एक कप पानी पीने की याद रखे। कामगारों को सीधी धूप में कार्य करने से बचना चाहिये। कामगारों के लिए कार्यस्थल पर अस्थाई शेड बनाकर व्यवस्था की जाये तो उपयुक्त होगा। मेहनत, परिश्रम के कार्य एवं आउटडोर कार्य सुबह अथवा शाम को ठंडे समय में करना सुनिश्चित करे। आउटडोर कामों को निरंतर न करते हुए बीच-बीच में आराम की अवधि एवं बारम्बारता को बढ़ाये। अतिरिक्त कामगारों की व्यवस्था भी की जा कसती है। तीव्र गर्मी के मौसम में कार्मिको का शरीर जलवायु के अनुकूल होने मे समय लगता है अतः प्रथम 05 दिनों में प्रति दिन 03 घंटे से अधिक कान न करेे। धीरे-धीरे कार्य की अवधि एवं मात्रा बढ़ाये। गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों की जानकारी सभी को मालूम होनी चाहिये। ताकि वे समय रहते बीमारी की पहचान कर सके।
गर्भवती महिलाएं तथा गंभीर बीमारी वाले व्यक्ति गर्मी में काम करने से पहले चिकित्सक से परामर्श ले। घर से बाहर काम करते समय हल्के रंग के कपड़े पहने, पूरी बाहो के शर्ट और पेन्ट को प्राथमिकता दे। सिर ढांक कर रखे एवं एवं आंखो को सीधी धूप से बचाने के लिए रंगीन चश्मे का प्रयोग करे।
डाॅ.मेश्राम ने जिलेवासियों से गर्मी के मौसम में लू, तापघात से बचने हेतु कहा कि धूप में बाहर जाने से बचे विशेषतः दोपहर 12 बजे से 03 बजे तक। दोपहर को कठोर श्रम से बचे। बिना चप्पल,सैंडल के धूप में न जाये। अधिक गर्मी में खाना बनाने से बचे। रसोई घर की खिड़कियां खुली रखे। शराब,चाय,कॉफी,सॉफ्ट ड्रिंक या अधिक शक्कर वाले पेय न पियें। इनसे शरीर से अधिक मात्रा में पानी का निकास होता है तथा पेट में क्रेम्प आने की संभावना होती है। अधिक प्रोटीन युक्त पदार्थ न खाये एवं बासी खाने का सेवन न करे। बच्चों या पालतू जानवरों को पार्किंग में वाहन में न छोड़े।
लू,तापघात के कारण खतरे के लक्षणों के बारे में कहा कि दिमाग भ्रम की स्थिति में होना, चिड़चिड़ापन, लड़खड़ाना, झटके आना, बेहोशी छाना। त्वचा का लाल, गर्म एवं सूखा होना। शरीर का तापमान अधिक होना। टीस के साथ सिरदर्द। एंक्जाइटी, चक्कर, आंखों के आगे अंधेरा छाना, सिर हल्का महसूस होना। मांसपेशियों में कमजोरी या मसल्स क्रेम्प आना। जी मिचलाना, उल्टी आना। धड़कन तेज होना। तेज उथली सांस चलना आदि लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सीय सहायता प्राप्त करनी चाहियें।
हिन्दुस्थान संवाद