रंग लाई गरीब मां की तपस्या, बेटी का फीफा अंडर 17 महिला विश्वकप में चयन
गुमला, 25 अप्रैल (हि.स.)। संत जेवियर इंग्लिश मीडियम स्कूल चैनपुर में झाड़ू-पोछा करने वाली ललिता तिर्की की बेटी सुधा अंकिता तिर्की का अंडर 17 महिला विश्वकप में चयन होने से पुरे अनुमंडल क्षेत्र में हर्ष का माहौल है।
20 साल पहले पति द्वारा परित्याग कर दिये जाने के बाद ललिता तिर्की बच्चों के साथ गांव छोड़ कर चैनपुर आ गई। वह चैनपुर में एक किराये के मकान में रहते हुए दुसरों के घरों में साफ-सफाई का काम करने लगी। अभी भी वह संत जेवियर इंग्लिश मीडियम स्कूल चैनपुर झाड़ू-पोंछा कर अपना व अपनी दो बेटियों की परवरिश कर रही है। स्कूल के फादर ने बेटियों की पढ़ाई में मदद की। साल 2019 में कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के दौरान सुधा का चयन इंडिया कैंप में हुआ था।
ललिता तिर्की ने बताया कि उसकी बेटी सुधा अंकिता तिर्की संत पात्रिक इंटर कॉलेज गुमला में पढ़ती है। वह 11 वीं कक्षा की छात्रा है। अभी वह जमशेदपुर कैम्प में है। उसने कहा कि आज हमलोग काफी खुश हैं। मेरी बेटी का फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप में चयन हुआ है। वे बताती है कि सुधा को बचपन से ही फुटबॉल खेलने में काफी रुचि थी। वह पारिस मिडिल स्कूल में पढ़ाई करती थी। तभी से वह बहुत अच्छा फुटबॉल खेलती है। फुटबॉल में अच्छे प्रदर्शन देखते हुए उसका नामांकन नुकरुडिप्पा स्कूल में कराया गया।
ललिता तिर्की ने बताया कि उसकी बेटी अंतर्राष्टीय मैचों में भाग ले चुकी है। वह फुटबॉल खेलने के लिए तुर्की गई थी। सुधा की छोटी बहन सबिता तिर्की ने बताया कि उसके पिताजी ने 20 वर्ष पहले ही उनकी मां को छोड़ दिया था। हमारा मूल गांव चैनपुर प्रखंड के कातिंग पंचायत अंतर्गत खोड़ा चितरपुर है। पिता के छोड़ने के बाद मां हम दो बहनों को लेकर दानपुर गांव आ गई। माँ ने दूसरों के घर में काम कर व स्कूल में झाड़ू पोछा कर हमें पढ़ाया लिखाया। उसने बताया कि मेरी दीदी का लक्ष्य फुटबॉल खेल में नाम कमाना और अपने भारत देश का नाम रोशन करना है।
हिन्दुस्थान समाचार / हरिओम
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