सुखद अहसास
जिले में जहां दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमण बढ रहा है वहीं कोविड सेंटर में अपने पिता की देखभाल कर रहे आशीष ने बीते 07 दिनों में वर्तमान परिस्थितियों को महसूस किया और इस दौरान उन्होनें जो सेवा कार्य करना था उसे किया, इस बात को साझा करते हुए उन्होनें अपने अभिन्न मित्र नितेश सक्सेना को बताया जिसके बाद नितिन सक्सेना को जो सुखद अनुभूति हुई उसे नितिन सक्सेना ने सोशल मीडिया फेसबुक में साझा किया है। नितिन सक्सेना द्वारा साझा की पोस्ट……………………………………….
चारों ओर जहां वातावरण डर और संदेहों से भरा पड़ा है वहीं आज अपने अभिन्न मित्र श्री आशीष ठाकुर जी (जो सृष्टि स्वयंसेवी संगठन के अध्यक्ष भी हैं) से फोन में बात कर कुछ सुखद अहसास प्राप्त हुए।मेरे मित्र ने बताया कि उनके पूज्य पिताजी का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें आज से एक सप्ताह पूर्व जिला चिकित्सालय सिवनी में भर्ती करना पड़ा। अंकल जी की सेवा के लिए मित्र आशीष जी स्वयं उनके साथ जिला चिकित्सालय में रहे।इन सात दिनों के दौरान उन्होंने जो दृश्य जिला चिकित्सालय का देखा और महसूस किया वो मुझे उन्हीने विस्तार से बताया। जिसको संक्षिप्त कर मैं आपके सामने रख रहा हूँ।एक सप्ताह पूर्व रात लगभग 10 बजे अंकल जी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। उस समय उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती किया गया जहाँ मात्र 3 या 4 अन्य समस्याओं से ग्रसित मरीज भर्ती थे। किंतु रात भर में मरीजों के बढ़ते बढ़ते वो वार्ड कोविड वार्ड में तब्दील होकर पूरा भर चुका था। उसी रात आशीष जी ने तीन शव भी सामने से जाते देखे। इस कारण वो स्वयं भी थोड़े से सहम चुके थे। चिकित्सालय में एक दृश्य यह भी था कि नर्सेस और डॉक्टर्स से जो ड्यूटी में थे जो भी बन सक रहा था मरीजों के लिए कर रहे थे। किंतु साधनों (ऑक्सीजन, और अन्य प्रकार की) की कमी के कारण वो स्वयं भी कुछ करने में अपने आप को असमर्थ पाते दिखे। साथ ही क्योंकि स्टाफ की भी कमी थी इसलिए जो ड्यूटी मे थे उनपर भी अत्यधिक भार स्पष्ट दिखाई दिया। अस्पताल की स्थिति देखकर आशीष जी से स्वयं ही नहीं रहा गया पिता जी के सो जाने के बाद वार्ड में वे स्वयं भी जो हो पाता मदद करने हेतु प्रयासरत रहते। बाहर से फल वगैरह बुलवा कर स्वयं ही सब मरीजों को बांटते हुए अन्य जो भी सेवा हो करने लगे।
इस बीच उन्होंने यह भी महसूस किया कि तकनीकी अनुभव की कमी के चलते भी मरीजों को पूर्ण सहयोग नहीं मिल पा रहा है। स्वयं आशीष जी ने भी अन्य लोगों के साथ मिलकर एक ऑक्सीजन सिलेंडर से 2 से 3 मरीजों को ऑक्सीजन मिलने हेतु उपकरण तैयार किये जिससे कम से कम उनके रहते तो मरीज ऑक्सीजन को प्राप्त कर पाए। उनके इस प्रयास से नर्सेस भी काफी प्रसन्न दिखीं। इस बीच 3रे दिन रात्रि लगभग 11 बजे एक मरीज (उम्र लगभग 45-50 वर्ष) स्वयं भर्ती होने आया और बेड की कमी के कारण वार्ड के बाहर ही बैठ गया। जब आशीष जी की नजर उसपर पड़ी तो वो स्वयं उसके पास पहुंच गए उसने चुपचाप अपनी भर्ती की पर्ची उन्हें (आशीष जी को) पकड़ा दी। आशीष जी ने वहाँ ड्यूटी में तैनात नर्स जो कि अन्य कार्य मे व्यस्त थीं से उस मरीज को देखने हेतु निवेदन किया और स्वयं तब तक उसके लिए बिस्तर कें प्रबन्ध में भिड़ गए। जब नर्स ने अपने काम से निवृत्त होने के बाद उस मरीज का ऑक्सीजन लेवल चेक किया तो वो स्वयं घबरा गईं और आशीष जी भी। o2 लेवल था 55. किंतु वो मरीज एक दम शांत बैठा हुआ था बस चुपचाप। ये भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था।आनन फानन में तुरंत फिर उसके लिए भी ऑक्सीजन की व्यवस्था रात्रि में ही ढूंढ ढूंढ के बनाये और नर्स द्वारा अन्य प्रारंभिक प्रक्रिया कर उसे लेटा दिया गया। कहते हैं न जिसके पास कोई नहीं होता उसके पास ईश्वर होता है ऐसा वहां सच मे दिखा।सुबह उठकर सबसे पहले उस मरीज को देखा तो वह खुद से उठ कर बाहर मुंह हाथ धोने चला गया था। जब वो वापस आया तो नर्स ने और आशीष जे ने सबसे पहले उसके पास जाकर उसका हाल लिया आश्चर्य तो तब हुआ जब o2 लेवल चेक किया तो उस समय वो 92-93 पहुच गया था। और मरीज भी ठीक दिखाई दे रहा था। नर्स ने भी और आशीष जी ने भी ईश्वर को ढेर सारा धन्यवाद दिया ।
अब आशीष जी ने जब उसे फल दिए तो वो मस्त खाता दिखा। सुनकर वाकई में मुझे भी दिल ही दिल मे बहुत प्रसन्न्ता हुई।आशीष जी ने बताए कि सबसे ज्यादा कमी वहां वर्कर्स की दिखी। जिसकी कमी वहाँ के डॉक्टर्स और अन्य लोग भी चाह के पूरी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें जरूरत है इस समय सहयोग के लिए हांथ की। यदि चाहो तो वहां जाके मरीजों के बीच मे रह कर मदद कर दो। पूर्ण विश्वास है किसी को कुछ नहीं होगा। क्योंकि यही कार्य वहां के स्टाफ भी पूरे दिल से कर रहे हैं बिना डरे, बिना रुके।स्थिति ये है कि जो ऑक्सीजन के पाइप फिट होने आए हैं वो तक अंदर रखने लगाने के लिए लोग नहीं थे जिसे खुद आशीष जी ने अन्य मददगार लोगों के साथ मिलकर अंदर रखवाई। एक बात और उन्होंने साझा की कि अस्पताल में बस अव्यवस्थाओं की कमी है जिसे यदि पूरा कर लिया गया तो वाकई में बहुत से ऐसे मरीज जो कि असामान्य मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं उनकी जान बचना चालू हो जाएगी ओर बहुत से मरीजों को इलाज भी मिलने लगेगा।आशीष जी ने बताया कि कल की रात उनकी वहां की सबसे अच्छी रात बीती। क्योंकि कल वहां कोविड से किसी की मृत्यु नहीं हुई साथ ही कोई नया मरीज भी भर्ती होने नहीं आया। ईश्वर को इसके लिए धन्यवाद तो बनता है वो भी खूब खूब खूब सारा। शायद यही ईश्वर का अब प्रकृति में, परिस्थितियों में परिवर्तन का आगाज हो और होगा भी अब सब अच्छा होगा धीरे धीरे। डरना नहीं बस सब एक दूसरे का सहयोग करना। अब बस ईश्वर भी यही संकेत दे रहे हैं कि अब सब ठीक हो जाएगा मैं सब धीरे धीरे ठीक कर दूंगा।
बस तुम एक दूसरे का साथ देना नहीं भूलना।अंकल जी की तबियत भी अब ठीक है इन्हें 4 रेमदेसीवीर इंजेक्शन भी लग चुके हैं पर पैसे से नहीं आपसी सहयोग से। अस्पताल में पैसा काम नहीं पड़ रहा है बस मदद काम पड़ रही है और वही मदद हर किसी को हर किसी से दिल के रिश्ते से जोड़ रही है। अंकल जी अब लगभग दो दिन शायद और भर्ती रहेंगे फिर उन्हें भी छुट्टी मिल जाएगी अस्पताल से। तब तक आशीष जी वहीं रहकर जितना बन सकेगा सबके लिए करते रहेंगे।इस सुखद अहसास को दिलाने के लिए आपका साभार आशीष जी, जिला अस्पताल सिवनी में कार्यरत सभी स्टाफ और डॉक्टर्स।
फेसबुक यूजर नितेश सक्सेना
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