रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून

“विशेष लेख”

प्रधानमंत्री सिंचाई योजना – भोपाल के देहातों की बदलती तस्वीर -बबीता मिश्रा

भोपाल ,22मार्च। जिले में प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, मनरेगा के तहत विभिन्न प्राकृतिक जल स्त्रोतों का संरक्षण, जीर्णोद्धार एवं नवीन कार्य किए गए। जिसमें 24 नवीन तालाब, 22 तालाब जीर्णोद्धार मरम्मत, 36 खेत तालाब, 1 स्टाप डेम, 101 चैक डेम, 35 सामुदायिक नल कूप, 309 कपिलधारा कूप का निर्माण किया गया। इन जल स्त्रोतों के निर्माण से भोपाल के बैरसिया तहसील की ग्राम पंचायतों की तस्वीर एवं तकदीर बदली हैं। जहाँ पहले किसान पर्याप्त जल सिंचाई के लिए उपलब्ध नहीं होने के कारण एक फसल ले रहे थे अब दो से तीन फसल लेकर लाभ कमा रहे हैं। साथ ही ग्रीष्म कालीन समय में भी पशुओं को पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है और बंजर होती जा रही भूमि में फसलें लहलहा रही हैं।  जल संरक्षण को अपनाकर भोपाल जिले में भारत सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत कृषि उत्पादकता में सुधार लाने और देश में संसाधनों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन चलाया गया। पीएमकेएसवाई के प्राथमिक उद्देश्य देश में सिंचाई प्रणाली में निवेश को आकर्षित करना, देश में खेती योग्य भूमि का विकास और विस्तार करना, पानी की बर्बादी को कम करने के लिए खेत में पानी का उपयोग बढ़ाना, पानी की बचत करने वाली तकनीकों और सटीक सिंचाई को लागू करके प्रति बूंद फसल में वृद्धि करना है। इसके अलावा योजना में मंत्रालय, कार्यालयों, संगठनों, अनुसंधान और वित्तीय संस्थानों को एक मंच के तहत जल संग्रहण के निर्माण और पुनर्चक्रण को एक साथ लाने के लिए कहा गया है ताकि पूरे जल चक्र का एक संपूर्ण और समग्र दृष्टिकोण पुरा हो सके। इसका लक्ष्य सभी क्षेत्रों में इष्टतम पानी के बजट के लिए दरवाजे खोलना है। पीएमकेएसवाई के लिए टैगलाइन “प्रति बूंद अधिक फसल” है।

एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम को 26 अक्टूबर 2015 को वर्तमान पीएमकेएसवाई में शामिल किया गया था। आईडब्ल्युएमपी की मुख्य क्रियान्वयन गतिविधियाँ अपरिवर्तित थीं और आईडब्ल्युएमपी के सामान्य दिशानिर्देश 2008 (संशोधित 2011) के अनुसार थीं। अन्य केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ अभिसरण, वित्तीय संसाधनों के इष्टतम और विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में कार्यक्रम के लिए एजेंडा में सबसे ऊपर है। मनरेगा के श्रम घटक का उपयोग करके और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ अभिसरण में प्रवेश बिंदु गतिविधियों में से कुछ का उपयोग करके प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन गतिविधियों को शुरू करने के लिए भी कार्रवाई की गई है। अथर्ववेद में बताया गया है कि आवास के समीप शुद्ध जलयुक्त जलाशय होना चाहिए। जल दीर्घायु प्रदायक, कल्याणकारक, सुखमय और प्राणरक्षक होता है। दौड़ने वाले पानी को चलने के लिए लगाओ, चलने वाले पानी को रुकने के लिए लगाओ और रुके हुए पानी को जमीन को पीने के लिए लगाओ, विश्व जल दिवस पर संकल्प करें कि जलशक्ति का संचय करेंगे। विश्व जल दिवस पर सभी संकल्प लें कि प्राणि मात्र की रक्षा के लिए प्रकृति के अनुपम उपहार “जल” की हर बूंद को संरक्षित करने का संकल्प लें।“जल ही जीवन है – जल है तो कल है।”

हिन्दुस्थान संवाद

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