खुशियों की दास्ताँ: अपने विशिष्ट आकार एवं स्वाद के लिए मशहूर सिवनी का जम्बो सीताफल

सिवनीः अपने विशिष्ट आकार एवं स्वाद के लिए मशहूर सिवनी का जम्बो सीताफल

जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों की आय का जरिया बना सिवनी जम्बों सीताफल

सिवनी, 14 नवम्बर। साल में एक से डेढ महिने की अवधि के लिए ही उपलब्‍ध होने वाले सीताफल अपने मिठास और स्‍वाद के कारण आमजन में काफी लो‍कप्रिय है पर यदि यही सीताफल का एक-एक फल 600-700 ग्राम का हो तो उसकी बात ही निराली है। जी हॉ हम बात कर रहे है सिवनी जिले के सीताफल क्‍लस्‍टर भूतबंधानी के सीताफलों की जिनका आकार 200 ग्राम से 700 ग्राम तक होता है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण विभाग द्वारा हाल ही में ग्राम खैरमटाकोल में आयोजित बायर-सेलर मीट में उपस्थित आमजन एवं जनप्रतिनिधि सीताफल के आकार व स्‍वाद को देखकर आश्‍चर्य चकित रह गये, कि जिले के सुदूर अंचल में इतने बडे आकार के स्‍वादिष्‍ठ सीताफल का प्राकृतिक रूप से उत्‍पादन हो रहा है।

  उपस्थित अतिथियों के समक्ष ही ग्राम भूतबंधानी (खैरमटाकोल) के कृषक द्वार सिंह मर्सकोले के द्वारा लाये गये 10 क्रेट सीताफल के 600-700 ग्राम वजन के फलों को खरीदने की होड़ व्‍या‍पारियों में लगी रही और अंततः 10 क्रेट सीताफल 1000  रूपये प्रति क्रेट की दर से 10000 रूपये में व्‍यापारी द्वारा खरीद लिया गया। खरीददार व्‍यापारी बताते है कि द्वार सिंह मर्सकोले के सीताफल का आकार सबसे बडा एवं स्‍वाद भी अलग होने के कारण प्रतिदिन व्‍यापारियों में उनके सीताफल खरीदने की होड रहती है।

सिवनी जिले के छपारा विकासखण्‍ड के ग्राम भूतबंधानी (खैरमटाकोल) के कृषक द्वार सिंह मर्सकोले की मॉं के द्वारा कई साल पहले अपने खेत की मेढ पर लगभग 400 सीताफल के पौधें लगाये गये है, जिनकी देखरेख पूरा परिवार मिलकर करता है। इन 400 पेडों से लगभग 200 कैरेट सीताफल का उत्‍पादन हुआ जो 400 से 1000 रूपये प्रति कैरेट की दर से विक्रय किया गया। कृषक को मेढ पर लगाये गये इन सीताफलों से लगभग 150000 रूपये की आय प्राप्‍त हुई।
द्वार सिंह बताते है कि सीताफल के ये पेड हम किसानों के लिए फिक्‍स डिपाजिट की तरह है, इनकी देखरेख में कोई अतिरिक्‍त खर्च नहीं करना पडता पर फसल से ज्‍यादा आय प्राप्‍त हो जाती है। इनकी देखरेख के लिए बस उपयुक्‍त समय पर कटाई-छटाई की जाती है और खेतों से निकले हुए पत्‍थरों को पेडों के आस-पास जमा दिया जाता है जिससे पेडों की जडों में नमी बनी रहती है। सीताफल से हो रहे लाभ को देखते हुए द्वार सिंह के द्वारा अपने खेत में भी सीताफल के सैकडो पौधे लगाये गये है जो अगले साल फलन में आयेंगे।

  उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्‍करण विभाग सिवनी के द्वारा मध्‍यप्रदेश स्‍थापना दिवस कार्यक्रम श्रृंखला में आयोजित ओडीओपी दिवस कार्यक्रम में आयोजित सीताफल प्रदर्शनी में  द्वार सिंह मर्सकोले के द्वारा भी अपने प्रादर्श लाये गये थे। प्रदर्शनी में सम्मिलित सभी प्रादर्शों में सबसे बडे आकार एवं विशिष्‍ट गुणों के कारण इनके प्रादर्श को किंग ऑफ द शो से सम्‍मानित किया गया।

  सिवनी जिले का सीताफल अपने विशेष आकार व अनूठे स्‍वाद के कारण एक विशेष पहचान रखता है जिसके कारण प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्‍य बडे शहरों में भी सिवनी जम्‍बो सीताफल की अच्‍छी मांग है। जिले में 656 हेक्‍टेयर क्षेत्र में 6500 मीट्रिक टन से ज्‍यादा उत्‍पादन होता है। जिसमें से बडे आकार के सीताफल व्‍यापारियों द्वारा सीधे ग्रामीणों से खरीद कर जबलपुर, भोपाल, नागपुर, रायपुर, इलाहबाद, बनारस, लखनउ, आगरा, दिल्‍ली एवं अन्‍य महानगरों में विक्रय किया जाता है।           

हिन्दुस्थान संवाद

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