Seoni: कलश मंदिर की पूर्णता को दर्शाते है- बसन्त महाराज

मंदिर में कलशारोहण की इच्छा हो रही साकार- सुजीत
सिवनी, 10 फरवरी। कलश मंदिर के उच्च स्थान पर स्थापित किये जाते है चैत्यालय (मंदिर) के कलश पूर्णता को दर्शाते है, आकाश में जब देव भ्रमण करते है तो मंदिरों के कलशों को देखकर वह उन मंदिरों को प्रणाम करते हैं। उक्त उद्गार श्री तरणतारण जैन समाज भैरोगंज में कलशारोहण एवं तिलक समारोह के अवसर पर सन्त शिरोमणी बसन्त जी महाराज ने पत्रकार वार्ता में व्यक्त किये।
सन्त श्री बसन्त जी ने कहा कि- सन्त का अभियाप सत्य के पारखी से होता है जो सत्य के पारखी होते है वे सन्त होते हैं। सन्त प्राणीयों के कल्याण करने में अपना जीवन लगाते है जिस तरह सूरज बिना स्वार्थ के लोगों को प्रकाश देता है। पानी बिना सोच के लोगों की प्यास बुझाता है। इसी तरह हर सम्प्रदाय में सन्त जनजन का कल्याण को ही अपना धर्म मानते है। आगे आपने कहा कि धर्म की परिभाषा यह है कि धर्म को धारण करना चाहिए समाज की अच्छाईयो को धारण करने का नाम धर्म है। हम क्रोघ छल अहंकार को त्यागते है यह भी धर्म है।
आपने आगे कहा कि शिक्षा का स्वरूप ऐसी प्रणाली से है जिसे ग्रहण कर युवा पीढ़ी देश और परिवार का नाम रोशन कर सके उनके अन्दर धर्म के साथ-साथ संस्कार का बीजारोपण हो जिससे समाज में सद्भावना आ सके।
इस अवसर पर श्री तरणतारण जैन समाज के अध्यक्ष सुजीत जैन ने कहा कि लम्बे समय से मंदिर में कलशारोहण को लेकर समाज में प्रबल इच्छा थी लेकिन कोरोनाकाल के चलते कार्य नहीं हो पाया था लेकिन परमपूज्य सन्त बसन्त जी महाराज की प्रेरणा से 11 एवं 12 फरवरी को यह कार्य सम्पन्न होने जा रहा है। 11 फरवरी को प्रातः ध्वजारोहण शाम को स्वर्णकलशों की यात्रा कलशकर्ता के घर से मंदिर जी के मध्य निकाली जावेगी ।
रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम 11 फरवरी को होगे एवं 12 फरवरी को अनेक संत एवं विद्वानों की उपस्थिति में कलशारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा। इस दौरान इस कलश को रोहण करने वाले परिवार सहित विद्वानों का तिलक वंदन किया जायेगा। कार्यक्रम एवं वसन्त जी महाराज का परिचय पं. सन्तोष जैन व्दारा दिया गया।
हिन्दुस्थान संवाद

follow hindusthan samvad on :
error: Content is protected !!