म.प्र. : कांग्रेस विधायक के गांव के प्रवेश द्वार पर तीन रंगों से सुसज्जित व भारत के संप्रतीक के साथ राजपथ अंकित
सिवनी, 12 मार्च।मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के लखनादौन विकासखंड अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत घूरवाड़ा का प्रवेश द्वार तीन रंगों – केसरिया, सफेद और हरे रंग से पुता है और इसके केंद्र में संप्रतीक बना है और संप्रतीक के नीचे सत्यमेव जयते भी लिखा है। वहीं, सत्यमेव जयते के नीचे राजपथ भी लिखा है। यह राजपत्र में संप्रतीक के उपयोग के संबंध में दिये गए नियमों का उल्लंघन है और इनके अनधिकृत उपयोग पर दंड का भी प्रावधान है। गांव का यह प्रवेश द्वार विधायक निधि व पंचायत निधि से बनाया गया है। घूरवाड़ा लखनादौन विधानसभा के कांग्रेस विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा का गृह ग्राम है।
राष्ट्रीय तीन रंगों से सजाए गये प्रवेश द्वार , संप्रतीक के उपयोग व राजपथ के अंकित होने संबंधी जानकारी के संबंध में लखनादौन विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा ने हि.स. को बताया कि यह प्रवेश द्वार उनकी सहमति से बनाया गया है। इसका निर्माण विधायक निधि व पंचायत निधि से हुआ है। यह राष्ट्रीय ध्वज के रंग हैं । इस संबंध में मैंने योजना समिति से क्रास चेक किया था उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं ली। वहीं आगे बताया कि प्रवेश द्वार पर सिंह के चिह्न (संप्रतीक) भी बने हैं। इनको लगाने संबंधी नियम उन्हें नहीं मालूम है। वहीं राजपथ अंकित होने के संबंध कहा कि उन्होंने गौरवपथ अंकित कराने के लिए बोला था लेकिन राजपथ किसने अंकित कराया है, वह उन्हें नही मालूम है। विधायक योगेन्द्र बाबा ने आगे कहा कि प्रवेश द्वार में राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का उपयोग किया गया है, यह किसी पार्टी का नहीं है। वहीं, प्रवेश द्वार पर अंकित शब्दों व संप्रतीक को लेकर कहा कि अगर इनका दुरूपयोग हुआ है तो निश्चित ही कार्यवाही की जायेगी चाहे जिला स्तर पर हो या पंचायत हो, या मैं स्वयं हूं। न्यायसंगत कार्यवाही की जायेगी।
यह कहते हैं राजपत्र में अंकित नियम
भारत का राजपत्र भाग 2 खंड-3 उपखंड(आई) प्राधिकार से प्रकाशित सं 448 नईदिल्ली, बृहस्पतिवार, अक्टूबर 4, 2007/अश्विन 12, 1929 गृह मंत्रालय अधिसूचना नईदिल्ली ,4 अक्टूबर ,2007 के बिंदु क्रमांक 08 सरकारी भवनों पर संप्रदर्शन के बिंदु क्रमांक 01 में (1) संप्रतीक को, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, उच्चतम न्यायालय और केन्द्रीय सचिवालय भवन जैसे अति महत्वपूर्ण सरकारी भवनों पर संप्रदर्शित किया जा सकेगा। (2) संप्रतीक को, उन राज्यों या संघ राज्यक्षेत्रों के राजभवन या राज निवास और राज्य विधान मंडल, उच्च न्यायालयों और सचिवालय भवनों पर भी संप्रदर्शित किया जा सकेगा, जिन्होंने संप्रतीक को अंगीकार किया है या जिन्होंने राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संप्रतीक में, संप्रतीक को सम्मिलित किया हुआ है ।
(3) संप्रतीक को, विदेशों में भारत के राजनयिक मिशन के परिसरों पर संप्रदर्शित किया जा सकेगा और मिशनों के प्रमुख अपने प्रत्यायन के देशों में अपने निवास स्थानों पर संप्रतीक को संप्रदर्शित कर सकेंगे।
(4) संप्रतीक को, विदेशों में भारत के कौंसलावास द्वारा अधिभोग किए गए भवनों पर, उनके प्रवेश द्वारों पर और उनके प्रत्यायन के देशों में कौंसलीय पदों के प्रमुखों के निवास स्थानों पर संप्रदर्शित किया जा सकेगा।
वहीं बिंदु क्रमांक 10. संप्रतीक के प्रयोग पर निर्बंधन के बिंदु क्रमांक (1) में लिखा गया है कि इन नियमों के अधीन प्राधिकृत व्यक्तियों से भिन्न कोई भी व्यक्ति (जिसके अंतर्गत भूतपूर्व मंत्री, भूतपूर्व संसद सदस्य, विधान सभाओं के भूतपूर्व सदस्य, भूतपूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त सरकारी पदधारी जैसे सरकार के भूतपूर्व कृत्यकारी भी हैं) किसी भी रीति में, संप्रतीक का प्रयोग नहीं करेगा।

(2) इन नियमों के अधीन प्राधिकृत किए गए पदाधिकारियों, संस्थाओं से भिन्न कोई आयोग या समिति, पब्लिक सेक्टर उपक्रम, बैंक, नगरपालिका परिषद्, पंचायतराज संस्था, परिषद्, गैर-सरकारी संगठन, विश्वविद्यालय किसी भी रीति में सप्रतीक का प्रयोग नहीं करेगा।

भारत का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) अधिनियम 2005 के बिंदु क्रमांक 7 में लेख किया गया है कि कोई व्यक्ति ,जो धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा या यदि उसे इस धारा के अधीन किसी अपराध के लिए पहले ही सिद्धदोष ठहराए जा चुका हो और उसके पश्चात् उसे, उस अपराध के लिए पुनः दोषसिद्ध किया जाता है तो वह दूसरे और प्रत्येक पश्चात्वर्ती अपराध के लिए ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, को पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
23 दिसंबर 1977 को जारी राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के बिंदु क्रमांक 2 भारतीय राष्ट्रीय झंडे तथा भारतीय संविधान का अपमान के स्पष्टीकरण 2 में लेख किया है कि भारतीय राष्ट्रीय झंडे की अभिव्यक्ति में कोई भी तस्वीर, पेंटिग, ड्राईग या फोटोग्राफ या भारतीय राष्ट्रीय झंडे या उसके किसी भाग या भागों का अन्य स्पष्ट चित्रण जो किसी पदार्थ से बना हो या पदार्थ पर दर्शाया गया, हो शामिल है।
दूसरी बार के या बाद के अपराध के लिये न्यूनतम दंड
जो कोई व्यक्ति ,जिसे धारा 2 या 3 के अंतर्गत किसी अपराध के लिए पहले से ही दोषसिद्ध ठहराया गया हो, ऐसे किसी अपराध के लिए फिर से दोषसिद्ध ठहराया जाता है, तो उसे दूसरी बार के या उसके बाद के हर बार के अपराध के लिए कम से कम एक वर्ष की कारावास से दंडित किया जा सकेगा।

डॉ. महेन्द्र नायक,(एडवोकेट) विधि विशेषज्ञ जिला न्यायालय सिवनी ने बताया कि पंचायत एक छोटी संस्थान है, पंचायत राज्य अधिनियम मे संप्रतीक के प्रयोग के संबंध में कहीं कोई प्रावधान नहीं है।संप्रतीक का उपयोग करने के लिए संबंधित को समुचित सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होगी। बल्कि यह हम सब का पहला मौलिक कर्तव्य है, कि संविधान का पालन करें और उसके अनुरूप आचार-व्यवहार करें। सिर्फ संवैधानिक जगहों पर ही इसका उपयोग किया जाएगा यथा- राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, न्यायालय, संवैधानिक प्राधिकारी अन्य उच्चाधिकारी व सचिवालय आदि। आप किसी पार्टी का नाम लिख सकते हैं, स्लोगन लिखा सकते हैं।
लेकिन संप्रतीक का ऐसे प्रयोग नहीं कर सकते क्योंकि संप्रतीक(अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) एक्ट 2005 के नियम 8 तथा नियम 10 के उपनियम 2 में ऐसे प्रयोग पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। ’संप्रतीक एक्ट 2005 (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध)’ की अनुसूची 1, 2 व 3 में जिनका उल्लेख किया गया है, वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
इस संबंध में पक्ष जानने के लिए पंचायत दर्पण में उल्लेखित ग्राम पंचायत घूरवाडा के संरपच शैलेन्द्र 9584238289, सचिव विशाल सिंह परते 79872507078, रोजगार सहायक देवेन्द्र गोल्हानी 9584691587 और उपयंत्री पुरूषोत्तम चौधरी 8966096655 के नंबरों से संपर्क किया गया तो सचिव ने रांग कहा और अन्य लोगों ने फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा।
इनपुट- हिन्दुस्थान समाचार
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