M.P.: पेंच नेशनल पार्क में वन्यप्राणियों की मॉनिटरिग, रेस्क्यू एवं पेट्रोलिंग की दक्षता बढाने कनार्टक से आये एक दंत बाली सहित पांच नर हाथी
सिवनी, 26 दिसंबर। विश्वविख्यात पेंच नेशनल पार्क में वन्यप्राणियों की मॉनिटरिग, रेस्क्यू एवं पेट्रोलिंग आदि कार्यो को और भी प्रभावी तरीके से करने के लिए बीते दिन कनार्टक से जनरल करियप्पा जनरल थिमैया , बाली , लावा व एक दंत मारूति नर हाथी आये है। हाथियो के साथ 11 महावत भी कर्नाटक से आये है जो कि पेंच टाइगर रिजर्व, के महावतों को प्रशिक्षण देगे एवं हाथियों के प्रबंधन से संबंधित सिखायेगे।
सतपुडा टाईगर रिजर्व के परिवहन दल द्वारा 22 दिसंबर को कर्नाटक राज्य दुवारे हाथी कैम्प मेडिकेरी (टी), जिला कूर्ग से पांच हाथियों को तीन दिनों में करीब डेढ़ हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा कर सड़क मार्ग से मध्यप्रदेश के विश्वविख्यात पेंच नेशनल पार्क में (25 दिसंबर की प्रातः ) क्रिसमस के पर्व पर लाकर पेंच प्रबंधन के अधिकारियों को सौंपा गया है। पेंच प्रबंधन इनके आने से उत्साहित है। करीब 13 साल बाद पेंच राष्ट्रीय उद्यान को वनराज (बाघ) की निगरानी करने व जंगल की सुरक्षा पुख्ता करने हाथियों की सौगात मिली हैं।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में जन्मे केएम (कोडांदेरा मदप्पा) करियप्पा भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे, 15 जनवरी 1949 को उन्होंने थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी।इस दिन हर साल थल सेना (आर्मी डे) दिवस मनाया जाता है। वहीं जनरल एसके थिमैया 1957 से 1961 से भारत के सेनाध्यक्ष रहे।

विश्वविख्यात मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में स्थित पेंच टाईगर रिजर्व में कर्नाटक से आये पांच नर हाथियों में एक हाथी का नाम जनरल करियप्पा है, तो दूसरे का नाम जनरल थिमैया है। दोनों हाथियों की उम्र 8-8 साल है। इसके अलावा तीन अन्य हाथियों में बाली (40 साल), लावा (21 साल), मारूति एक दंत (20 साल) शामिल हैं। वहीं पेंच नेशनल पार्क में पूर्व से पांच हाथी क्रमशः नर हाथी जंग बहादुर एव युवा गणेशा तथा दो मादा हाथी शोरेन व दामिनी है वहीं सबसे बुर्जग मादा हाथी सरस्वती की सेवाएं पेंच प्रबंधन को मिल रही है। वन अमला कनार्टक से हाथियों की आवश्यक देखरेख में लगा हुआ है।
हाथियों के आने से मॉनिटरिग, रेस्क्यू एवं पेट्रोलिंग की बढेगी दक्षता
पेच टाईगर टाइगर रिजर्व में बाघ या तेंदुए कभी-कभी ऐसे स्थानों पर फंस जाते हैं जहां से वाहनों का निकलना मुश्किल होता है और पैदल जाना खतरनाक है। ऐसी जगह पर हाथियों की मदद से मेडिकल सुविधा व रेस्क्यू दल को पहुंचाया जाता है। यही कारण है कि टाइगर रिजर्व में हाथियों को तैनात किया गया है, ताकि रेस्क्यू सहित गश्ती का काम आसान हो सके। और वन्यप्राणियों के प्रति मॉनिटरिग, रेस्क्यू एवं पेट्रोलिंग की दक्षता बढेगी।
पेंच टाईगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश सिंह ने हिस को बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम के परिवहन दल द्वारा कर्नाटक राज्य दुवारे हाथी कैम्प मेडिकेरी (टी), जिला कूर्ग से पांच हाथी क्रमशः जनरल करियप्पा ( 08 वर्ष), जनरल थिमैया ( 08 वर्ष), बाली (40 वर्ष), लावा ( 21 वर्ष) एवं मारूति (20 वर्ष) को सड़क मार्ग से परिवहन कराते हुये 24-25 दिसंबर की मध्यरात्रि में पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी के अर्न्तगत ग्राम जीरेवाड़ा में पेंच टाइगर रिजर्व, प्रबंधन को प्रभार में सौपा गया। सभी पांच नर हाथी पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं सक्रिय है। हाथियो के साथ 11 महावत भी कर्नाटक से आये है जो कि पेंच टाइगर रिजर्व, के महावतों को प्रशिक्षण देगे एवं हाथियों के प्रबंधन से संबंधित सिखायेगे।
पेंच टाइगर रिजर्व, मेें पूर्व से 05 हाथी थे जिनकी संख्या बढकर अब 10 हो गई है। इन हाथियों के प्राप्त होने से पार्क प्रबंधन की वन्यप्राणियों की मॉनिटरिग, रेस्क्यू एवं पेट्रोलिंग आदि कार्याे को और प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।
हिन्दुस्थान संवाद