लोगों की सेहत के साथ जनजातीय महिलाओं की आय को पुष्ट कर रहा है कड़कनाथ

जनजातीय ग्रामों में दी जा रही हैं कड़कनाथ कुक्कुट इकाइयाँ

भोपाल, 14 नवंबर।महानगरों सहित बड़े शहरों में पौष्टिकता से भरपूर कड़कनाथ मुर्गे के लिये बढ़ती माँग के मद्देनजर राज्य शासन द्वारा जनजातीय महिलाओं के लिए कड़कनाथ पालन इकाई की स्थापना की जा रही है। हितग्राहियों को लगभग एक लाख रूपये की लागत से शेड, बर्तन, दाना, 100 चूजे और तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है। ये 28 दिन के चूजे टीकाकरण के बाद हितग्राहियों को दिये जा रहे हैं। इससे इनकी मृत्यु दर न के बराबर है। अगर हितग्राही कड़कनाथ बेचने में समर्थ नहीं है, तो पशुपालन विभाग अंडे, मुर्गे आदि इनसे खरीद भी लेगा। कड़कनाथ को जीआई टैग मिला हुआ है।

तत्वकड़कनाथअन्य प्रजातियाँ
विकास का समय90-100 दिन40-45 दिन
वजन1250 ग्राम/ 90-100 दिन2 कि.ग्रा./40-45 दिन
क्रूड प्रोटीन25%-27%17%-18%
कैलोरी2400-2500 कैलोरी3250-2800 कैलोरी
फैट0.73 से 1.03 %13 से 25 %
कोलेस्ट्राल184.75 मि.ग्रा./100 ग्राम218.12 मि.ग्रा.
लिनोलिक एसिड24 %21 %
बीमारियाँकम संक्रामकअधिक संक्रामक बेक्टीरियल एवं वॉयरल बीमारियाँ
पालन से लाभब्राण्डेड वेल्यू तथा नियमित आय के साथ अधिक दर पर विक्रयसामान्य वेल्यू तथा कम दरों पर विक्रय

कड़कनाथ कुक्कुट पालन योजना के इस नवाचार में सतना जिले के उचेहरा विकासखंड के जनजातीय बाहुल्य ग्राम गोबरांव कला, पिथौराबाद, धनेह, जिगनहट, बांधी, मौहार और नरहटी में जनजातीय महिलाओं के लिये 30 कड़कनाथ कुक्कुट इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। इन्हें पहले चरण में 40-40 कड़कनाथ चूजे और उच्च गुणवत्ता युक्त 58 किलोग्राम कुक्कुट आहार दिया गया है। हितग्राही रूमी कोल कहती हैं कि यह योजना हमारी खुशहाली लेकर आयी है। हमारे घर-परिवार को पौष्टिक आहार तो मिलेगा ही, हमारी आमदनी भी कई गुना बढ़ जायेगी।

उल्लेखनीय है कि कड़कनाथ मुर्गे की त्वचा, पंख, माँस, खून सभी काला होता है। सफेद चिकन के मुकाबले इसमें कॉलेस्ट्रोल का स्तर काफी कम होता है, फेट की मात्रा कम होने से हृदय और मधुमेह के रोगियों के लिये बहुत फायदेमंद माना जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ कम वसा, प्रोटीन से भरपूर, हृदय-श्वास और एनीमिक रोगी के लिए लाभकारी है। अन्य मुर्गे और उनके अंडों की तुलना में यह काफी मँहगा होता है। इसका एक अंडा लगभग 30 रूपये और मुर्गा 900 से 1100 रूपये प्रति किलो में मिलता है। जबकि मुर्गी की कीमत इससे भी तीन गुना होती है।

झाबुआ जिले में 106, अलीराजपुर में 87 और बड़वानी जिले में 117 महिला जनजातीय हितग्राहियों ने भी प्रथम चरण में कड़कनाथ पालन शुरू कर दिया है। इन जिलों में हितग्राहियों को कुक्कुट विकास निगम द्वारा 10×17 का शेड, बर्तन, 6 माह तक का दाना, वैक्सीनेटेड 50 चूजे दिये जा चुके हैं। झाबुआ में दूसरा चरण आरंभ हो गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना के क्रियान्वयन की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही ये जनजातीय महिलाएँ न केवल कड़कनाथ से अच्छी आय का सिलसिला आरंभ करेंगी बल्कि अपने बच्चों को पौष्टिक आहार के साथ उज्ज्वल भविष्य भी सौंपेंगी।

हिन्दुस्थान संवाद

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